दंगे के आरोप में 2 महीने तक रहे सलाखों के पीछे, CCTV के आधार पर हुए रिहा

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Update: 2022-08-04 10:53 GMT

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में जुमे की नमाज के बाद हुए दंगों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी ने जांच की तो 6 लोग निर्दोष पाए गए। दरअसल, कानपुर हिंसा में पुलिस ने 62 लोगों को गिरफ्तार किया था। वहीं कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में एक एसआईटी का गठन किया था, जिसमें जांच कर निर्दोष या दोषी होने का पता लगाना था। जिसमें 6 लोग निर्दोष पाए गए हैं। जिसमें से 2 को पुलिस रिहा कर चुकी है। 4 अन्य को जल्द ही रिहा कर देगी। बताया जा रहा है कि कानपुर हिंसा में 6 गिरफ्तार लोग सीसीटीवी फुटेज के आधार पर निर्दोष पाए गए। जिसके चलते 2 लोगों को पुलिस ने रिहा कर दिया। जिन 2 लोगों को रिहा किया उनका नाम मोहम्मद शानू और सारिक हैं। मोहम्मद शानू अपने घर के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज में उस वक्त मौजूद हैं, जब हिंसा की घटना हुई थी और उसी तरह से सारिक अपने घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की वजह से बच गए, क्योंकि फुटेज में हिंसा के वक्त वह अपने घर में हैं। इसलिए दोनों ही दंगे के मामले में निर्दोष पाए गए और उन्हें रिहा कर दिया गया।

मोहम्मद शानू का कहना है कि पुलिस ने 5 जून को उसे थाने बुलाया और थाने से कोतवाली ले जाकर के लिखा-पढ़ी कर जेल भेज दिया। ठीक इसी तरह सारिक के साथ हुआ। 4 जून को उसे पुलिस ने बुलाया और थाने से ही लिखा-पढ़ी कर जेल भेज दिया। सारिक ने बताया कि वह आज तक कभी थाने तक नहीं गया था। दोनों का कहना है कि बिना वजह के 2 महीने तक जेल काटनी पड़ी, लेकिन अब पुलिस ने जांच कर निर्दोष बनाकर रिहा किया है तो अच्छी बात है। जेल अधीक्षक बीडी पांडे ने बताया कि अन्य चार कैदी जो जेल में दंगे के आरोप में बंद हैं और जिन्हें एसआईटी की टीम ने निर्दोष बताया है, उनमें मोहम्मद सरताज, सरफराज ,मोहम्मद अकील और मोहम्मद नासिर हैं। आज जो आदेश आया है, उसमें संशोधन होना है, कल उनके दस्तावेज कोर्ट भेजे जाएंगे उसके बाद उनकी रिहाई होगी। गौरतलब है कि पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके चलते जुमे की नमाज में मुस्लिम पक्ष और हिन्दू पक्ष में विवाद हो गया था। दोनों पक्षों में पथराव भी हुआ। इन दंगों में पुलिस ने काफी आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

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