Bareilly: ट्रांसमिशन लाइन के टावरों का फॉल्ट अब खोजेगा ड्रोन

भारत सरकार से 20 साल का पेटेंट मिल गया

Update: 2024-07-24 05:14 GMT

बरेली: मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी (एमएनएनआईटी) के वैज्ञानिकों ने अनोखा सेंसरयुक्त ड्रोन तैयार किया है. इस ड्रोन की मदद से ट्रांसमिशन लाइन वाले टावरों के फॉल्ट आसानी से खोजे जा सकेंगे. संस्थान के मैकेनिकल विभाग के डॉ. जगदीश चंद्र मोहंता और शोध छात्र मोहम्मद फैयाज ने साल की कड़ी मशक्त के बाद अनोखा ड्रोन तैयार किया है. ड्रोन को ए साइट इंस्पेक्शन ऑटोनॉमस अनमैन एरियल वीकल सिस्टम के नाम से भारत सरकार से 20 साल का पेटेंट मिल गया है.

डॉ. मोहंता ने बताया कि यह ऐसा ड्रोन है जो जीपीएस से युक्त होने की वजह से निश्चित दूरी से स्थिर रहकर और विभिन्न कोणों से लाइन में खराबी को बारीकी से तस्वीर और वीडियो के माध्यम से कैप्चर करेगा. ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइन के निरीक्षण के पारंपरिक तरीके आज के युग में अनुपयुक्त साबित हो रहे हैं. इसमें कई तरह की कठिनाइयों के साथ काफी समय लगता है. ट्रांसमिशन टावरों की ऊंचाई और चौड़ाई अधिक होती है. ऐसे में इसका निरीक्षण चुनौतीपूर्ण कार्य है.

यह स्वायत्त मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी/क्वाडकॉप्टर) के विकास पर केंद्रित है. यह जीपीएस सिस्टम से युक्त है जो दूरदराज इलाके (जंगल, पहाड़) से गुजरी पावर ट्रांसमिशन लाइनों से निश्चित दूरी पर उड़ता है. साथ ही स्थिर होकर विभिन्न कोणों से पावर ट्रांसमिशन टावर लाइन में इंसुलेंटर, लापता टॉप कैप और टूटी डिस्क का सफलतापूर्वक पता लगाता है. खराबी को वीडियो और तस्वीर के माध्यम से बेहतर ढंग से कैप्चर करता है. डॉ.जगदीश चंद्र मोहंता ने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) के प्रोजेक्ट के तहत यह ड्रोन तैयार किया गया है. इसे तैयार करने में साल का वक्त लगा है.

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