Bareilly: जल जीवन मिशन में ठेकेदारों को नहीं हुआ भुगतान, काम ठप

Update: 2025-02-14 08:08 GMT
Bareilly बरेली । जल जीवन मिशन के तहत घर-घर टंकी से पानी पहुंचना था लेकिन भुगतान का सूखा ऐसा पड़ा कि थमा हुआ काम ही दोबारा शुरू होने में नहीं आ रहा है। पिछले छह महीने में करीब 40 करोड़ रुपये फंसने के बाद ठेकेदार अब भुगतान होने से पहले काम शुरू करने को तैयार नहीं हैं। विभाग ने इस बीच कागज पर ही करीब 80 फीसदा काम पूरा दिखा दिया है लेकिन असलियत यह है कि सैकड़ों गांवों में पाइप लाइन बिछाने के लिए खोदी गईं सड़कें जस की तस पड़ी हैं। गांव के लोग लगातार
दिक्कतें झेल रहे हैं।
हर घर स्वच्छ जल पहुंचाने का सपना दिखाकर शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना में बजट का सूखा पड़ गया है। ठेकेदार काम करने से हाथ खड़े कर चुके हैं। विभागीय अधिकारियों ने भुगतान के लिए शासन को कई पत्र लिखने के बाद चुप्पी साध ली है। कार्यदायी संस्था एनसीसी ठेकेदारों को आश्वासन देकर टाल रही है। ऐसे में ठेकेदारों के साथ उन गांवों के लोग भी फंस गए हैं जिनमें प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है। इन गांवों में घर-घर पानी तो पहुंचा नहीं, ऊपर से सड़कों की हालत और खराब हो गई है।
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत वर्ष 2022 में जिले के 1806 गांवों में घर-घर नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य तय हुआ था। गांव-गांव पानी की टंकी और ट्यूबवेल बनाने के साथ पाइप लाइन बिछाई जानी थी। प्रोजेक्ट पहले मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य दिया गया था, फिर शासन ने समयसीमा 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी लेकिन काम फिर भी पूरा नहीं हो पाया। सितंबर से भुगतान फंसना शुरू हुआ जो दिसंबर तक 40 करोड़ के पार पहुंच गया। इसके बाद ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया।
बरेली में जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट की कार्यदायी संस्था एनसीसी नाम की फर्म है। भुगतान के लिए ठेकेदार उसी का दरवाजा खटखटा रहे हैं। ठेकेदार संजय अग्रवाल का कहना है कि लाखों का भुगतान फंसने से वह भी बुरी तरह फंस गए हैं। जो बिल पोर्टल पर चढ़ गए हैं, उनका जीएसटी भुगतान करना ही है। कई सप्लायर्स का पैसा फंसा हुआ है जो लगातार तकादा कर रहे हैं। कार्यदायी संस्था लगातार टालमटोल कर रही है। ठेकेदार अनुभव ने बताया कि उनका सात लाख रुपया खर्च हो चुका है। बिल बनाकर भेजे जा चुके हैं। दिवाली तक भुगतान करने की बात कही गई थी, फिर 31 दिसंबर की तारीख बताई गई, अब मार्च में भुगतान की बात कही जा रही है। जो माल खरीदा था, उसके बिल पोर्टल पर अपडेट हो चुके हैं। रिटर्न फाइल करने के लिए जेब से जीएसटी भरनी पड़ी है।
ठेकेदारों का भुगतान कार्यदायी संस्था एनसीसी को करना है। करोड़ों के बिल शासन को भेजे जा चुके हैं। पत्राचार भी किया जा रहा है लेकिन ऊपर से पैसा नहीं मिल रहा है। इसी वजह से ठेकेदारों के भुगतान में देरी हो रही है
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