Bareilly बरेली । प्रदेश भर में 779 रुपये प्रति बंदर की दर से सबसे ज्यादा कीमत में नगर निगम की ओर से ठेका दिए जाने के बावजूद शहर में बंदरों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। नगर निगम के अफसर 15 दिन से लगातार अभियान चलाने का दावा कर रहे हैं तो कई पार्षदों ने आरोप लगाया है कि ठेका लेने वाली मथुरा की फर्म एक मोहल्ले से बंदर पकड़कर दूसरे मोहल्ले में छोड़ रही है। इसी वजह से लोगों को कोई राहत नहीं मिल पा रही है।
नगर निगम में बंदर पकड़ने के नाम पर बजट की बंदरबांट के आरोपों के बीच रोज लोग बंदरों के हमलों में घायल होकर अस्पताल पहुंच रहे है। नगर निगम के अफसर रोस्टर के हिसाब से बंदरों को पकड़कर पीलीभीत के जंगलों में छोड़ने का दावा कर रहे हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि मोहल्लों में बंदरों के आतंक में कोई कमी नहीं आई है। गुलाबनगर और चाहबाई में आए दिन कोई न कोई बंदरों के हमले से घायल हो रहा है। इसी इलाके के अखिलेश सक्सेना का कहना है कि बंदरों के आतंक से मोहल्ले के सारे लोग परेशान हैं। वे कब किस पर हमला कर दें, कुछ पता नहीं है।
नगर निगम का दावा है कि चार सौ से ज्यादा बंदर शहर से पकड़कर पीलीभीत के जंगल में छोड़े जा चुके हैं शहर का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है जहां लोग जरा भी राहत महसूस कर रहे हों। पार्षदों ने अब सीधा आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि बंदरों को पकड़ने में कागजी खानापूरी की जा रही है। कुछ बंदर पकड़े भी जा रहे हैं तो उन्हें शहर में ही इधर-उधर छोड़ दिया जा रहा है। इसी वजह से बंदरों का आतंक पहले की ही तरह बना हुआ है।
सुबह के समय शास्त्रीनगर में हर तरफ बंदरों के झुंड दिखते हैं लेकिन बंदर पकड़ने वाले यह कहकर लौट गए कि बंदर मिले ही नहीं। इससे भी बड़ा सवाल है कि बंदरों को पकड़कर कहां छोड़ा जा रहा है। पीलीभीत के जंगल में छोड़ने का दावा जरूर किया जा रहा है लेकिन वहां वन विभाग ने परमिशन ही नहीं दी है। बंदरों को आसपास ही छोड़कर खानापूरी की जा रही है। -गौरव सक्सेना, पार्षद
बंदरों से लोगों का हाल बेहाल है। जब तब एक-दो बंदर पकड़े जा रहे है लेकिन इससे ज्यादा मोहल्ले में पता नहीं कहां से आकर धमक जा रहे हैं। बंदरों को पीलीभीत के जंगल में छोड़े जाने का दावा गलत है। अगर वहां छोड़ा जा रहा है तो इसका वीडियो बनाकर दिखाया जाए। हमारे इलाके में लोग बंदरों के हमले से आए दिन घायल हो रहे है। -सतीश कातिब मम्मा, पार्षद
बंदरों को पकड़ने में लापरवाही बरती जा रही है। इसी कारण शहर में के किसी भी इलाके में बंदर कम नहीं हो रहे हैं। ठेका लेने वाली फर्म ने बंदरों को पकड़ने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं की है। नगर निगम के अफसर भी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं कि एजेंसी कुछ काम कर भी रही है या नहीं। इसी कारण बंदरों की संख्या काम नहीं हो रही है। -