अब से खराब कॉलेजों को किया जाएगा चिन्हित, कॉलेजों में शिक्षा के गिरते स्तर से कुलपति चितिंत
मेरठ न्यूज़: कोरोना के बाद कॉलेजों में पढ़ाई का स्तर नीचे आने की वजह से छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं, इनमें वह छात्र-छात्राएं ज्यादा हैं, जिन्हें प्रथम वर्ष में प्रमोट कर दिया गया था। कुलपति को इस बात की पुख्ता जानकारी मिली है कि वरिष्ठ शिक्षकों के द्वारा नियमित कक्षाएं नहीं ली जाती है इस कारण छात्रों का जहां सिलेबस पूरा नहीं हो रहा है. वहीं कॉलेजों का ढर्रा पूरी तरह से बिगड़ गया हैं, जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि इसमें शहर के नामचीन कॉलेज भी शामिल है। इसको देखते हुए विवि कुलपति ने सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है और जल्द ही उसको विवि स्तर पर अमली जामा पहना दिया जाएगा। कुलपति कहा कि ऐसे कॉलेजों की जल्द से जल्द सूची तैयार कराई जाएगी और औचक निरीक्षण भी किया जाएगा।
बता दें कि यह सब मामला हाल ही में हुए एक धरने प्रदर्शन के दौरान निलकर सामने आया है। जिसमें बीएससी के फेल छात्रों विवि के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया था और धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वाले सभी छात्र बीएससी द्वितीय वर्ष में फेल थे और वह पास होने की मांग कर रहे थे। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों द्वारा दिए रोलनंबर की छह उत्तर पुस्तिकाएं उनके व अन्य लोगों के सामने ही विशेषज्ञों से जांच कराई जिसमें फेल छात्र फेल ही मिले। इसके बाद भी छात्र पास करने की मांग पर अड़े रहे। विश्वविद्यालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि दो बार किए गए मूल्यांकन के बाद भी फेल छात्रों को उत्तर पुस्तिका में बिना कुछ लिखे पास नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग को मानते हुए कुलसचिव व अन्य शिक्षकों ने मूल्यांकन भवन में उत्तर पुस्तिका निकालकर छात्रों को दिखाया। प्रश्न कुछ पूछा गया और उसमें उत्तर कुछ और लिखा मिला। प्रदर्शन करने वाले छात्रों को केमिस्ट्री, गणित आदि विज्ञान विषयों में शून्य, एक या दो अंक अंक मिले हैं। दोबारा मूल्यांकन के बाद एक-दो प्रतिशत छात्रों के अंक बढ़े लेकिन अब भी विभिन्न कालेजों के छात्र फेल ही हैं। इनमें हापुड़, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर आदि जिलों के छात्र शामिल थे। मामले के दौरान ही यह निकलकर सामने आया कि अधिकांश कॉलेजों में न तो नियमित कक्षाएं संचालित की जा रही है और न ही छात्रों के शिक्षण कार्य पर सही से ध्यान दिया जा रहा है।
इतना ही नहीं विवि की ओर से खराब रिजल्ट देने वाले कॉलेजों की जांच के लिए आज तक कोई मानक तय नहीं किए गए है। जबकि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम खराब देने वाले विद्यालयों के खिलाफ हर साल जांच बैठाई जाती हैं, लेकिन चौधरी चरण सिंह विवि की ओर से ऐसा कोई नियम आज तक नहीं बनाया गया हैं, जिसके चलते हर साल परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद कॉलेजों की खामियां बडेÞ स्तर पर निकलकर सामने आती है। इतना ही नहीं कॉलेजों में पठन-पाठन और उपस्थिति की जांच तक नहीं कराई जाती है और न ही कॉलेजों में सेमेस्टर या वार्षिक परीक्षा में कोई टेस्ट होते है। परिणाम के आधार पर कॉलेजों का मूल्यांकन तक नहीं होता। विवि कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला का कहना है कि कॉलेजों के पठन-पाठन व उपस्थिति की अब जांच कराई जाएगी। जिसके लिए योजना तैयार की जा रही है।
नहीं है ये व्यवस्था:
कॉलेजों में पठन-पाठन और उपस्थिति की जांच नहीं होती
कॉलेजों में सेमेस्टर या वार्षिक परीक्षा में कोई टेस्ट नहीं होते
परिणाम के आधार पर कालेजों का मूल्यांकन नहीं होता
खराब परिणाम वाले कालेजों पर अब तक नहीं हुई कोई कार्रवई
मूल्यांकन में गड़बड़ी मिलने के बाद भी किसी परीक्षक पर कार्रवाई नहीं
कुलपति ने दिए यह निर्देश:
कॉलेजों से पूछा जाए कि क्लास रेगुलर चल रही या नहीं
खराब परिणाम होने पर कॉलेजों की तय हो जवाबदेही
खराब परिणाम वाले कालेजों के प्राचार्यों संग हो बैठक
औचक निरीक्षण कर कालेजों में देखा जाए शिक्षण व्यवस्था
प्रदर्शन में आने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी बुलाएं