आजम खान की राहत अर्जी हुई खारिज, सरकारी लेटर व मुहर का गलत इस्तेमाल करने का लगा आरोप

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Update: 2022-08-30 09:27 GMT
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान पर एक बार फिर नई मुसीबत आन पड़ी है। दरअसल, मुश्किलों में घिरे आजम खान पर अब एक नया आरोप लग गया है, कि उसने सरकारी लेटर हेड और मुहर का गलत इस्तेमाल किया है। इस वजह से आजम खान की राहत अर्जी को एमपी-एमएलए कोर्ट में खारिज कर दिया गया है। बता दें कि आजम खान की ओर से राहत पाने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए सहायक अभियोजन अधिकारी ने दलील दी, कि इस मामले में वादी साल 2014 से रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने कहा कि अभियुक्त ने जनता की भावनाओं को भड़काने और समुदाय विशेष को विभिन्न समुदायों के विरुद्ध अपराध करने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया था।
जो भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक कृत्य है। इसके अलावा अभियोजन अधिकारी ने यह भी दलील दी थी, कि अभियुक्त ने पद पर रहते हुए जानबूझकर धार्मिक उन्माद फैलाने, प्रदेश और देश की जनता की भावनाओं को भड़काने और व्यक्तियों, संस्थाओं और वादी की छवि धूमिल करने का पूर्ण प्रयास किया था। कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद सपा नेता आजम खान की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों को देखते हुए अभियुक्त के विरुद्ध आरोप तय करने के पर्याप्त आधार हैं, लिहाजा अभियुक्त के विरुद्ध आरोप तय करने के लिए पत्रावली 12 सितंबर को पेश की जाए।
1 फरवरी, 2019 को हुई थी FIR
इस मामले में प्राथमिकी 1 फरवरी, 2019 को हजरतगंज पुलिस में दर्ज की गई थी। मुखबिर अल्लामा ज़मीर नकवी ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि आजम ने भाजपा, आरएसएस और मौलवी सैयद की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए आधिकारिक लेटरहेड और मुहर का दुरुपयोग किया था। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कहा कि मुखबिर ने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन सरकार के दबाव में मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत ने कहा, "रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने पर, आजम के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।"
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