अयोध्या: राम मंदिर परिसर में होगी 50 हजार श्रद्धालुओं के लिए लॉकर की सुविधा
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के मध्य दो दिनों तक चली भवन निर्माण समिति की बैठक का बुधवार को समापन हो गया।
अयोध्या: रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के मध्य दो दिनों तक चली भवन निर्माण समिति की बैठक का बुधवार को समापन हो गया। अंतिम सत्र की बैठक कारसेवकपुरम में हुई। इस बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने देते हुए बताया कि अंतिम दिन यात्री सुविधाओं के विकास पर मंथन किया गया। उन्होंने बताया कि बैठक में तय किया गया कि करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के सामान को एक साथ रखवाने के लिए लॉकर की सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार किया गया।
इसी तरह से परिसर में एक साथ दो लाख दर्शनार्थियों के पहुंचने पर उनके ठहरने व बुजुर्ग श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए आवश्यक प्रबंध पर भी विचार किया गया। इसके अतिरिक्त दर्शनार्थियों के लिए पीने के लिए शुद्ध पेयजल व शौच आदि के प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध कराने पर भी विचार मंथन हुआ। इसी तरह से फायर सर्विस के लिए पानी के स्टोरेज व अग्निशमन वाहनों की व्यवस्था पर भी विमर्श किया गया। उन्होंने बताया कि 70 एकड़ परिसर में मंदिर स्थल को छोड़कर यात्रियों से सम्बन्धित व्यवस्थाएं कहां और किस प्रकार कराई जाए, इस बारे में भी विमर्श किया गया। समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में हिस्सा लेने के लिए देर रात ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि भी पहुंच गये थे। वहीं राम मंदिर पर प्रजन्टेशन के लिए आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी बैठक में शामिल थे।
मंदिर निर्माण का 30 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका
राम मंदिर निर्माण की प्रगति का आंकलन करते हुए पाया गया कि कोरोना महामारी की वैश्विक आपदा के बावजूद राम मंदिर के फाउंडेशन से लेकर प्लिंथ तक 30 प्रतिशत कार्य हो चुका है। 24 घंटे चल रहे इस कार्य में अनेक बाधाओं के बाद भी निर्धारित कार्य समयबद्ध रीति से चल रहा है। यह संतोष का विषय है। फिर भी देशभर के रामभक्त अतिशीघ्र रामलला को नियत स्थल पर प्रतिष्ठित देखना चाहते हैं, उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मूल मंदिर पर विशेष फोकस किया गया है। इसके कारण प्लिंथ यानि फर्श का निर्माण यथाशीघ्र कराने पर भी मंथन किया गया। ट्रस्ट महासचिव ने कहा कि मंदिर निर्माण के अनेक तकनीकी पहलु हैं जिन पर इंजीनियरिंग विधा के विशेषज्ञ मंथन करते है, इस विषय आम लोगों के बीच चर्चा के लिए नहीं हो सकते।
बैठक में नियत किया गया पूजित रामशिलाओं के लिए स्थान
राम मंदिर आंदोलन के दौरान देश भर से रामभक्तों के द्वारा भेजी गयी पूजित रामशिलाओं को रखने का स्थान भवन निर्माण समिति की बैठक में तय कर दिया गया है। पहले इन शिलाओं की प्रदर्शनी लगाने पर विचार हो रहा था। फिर ध्यान में आया कि रामशिलाओं को मंदिर निर्माण के दृष्टिगत भेजा गया है तो शिलाओं का उपयोग मंदिर में ही किया जाना चाहिए। इसके चलते इन्हें गर्भगृह के बाहर परिक्रमा पथ की नींव में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। रामजन्मभूमि ट्रस्ट के न्यासी कामेश्वर चौपाल बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु मंदिर आते हैं, वह चौखट का ही स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, इसलिए शिलाओं को वहीं यथोचित सम्मान मिलेगा। मालूम हो कि देश भर के साढ़े तीन लाख गांवों के अतिरिक्त विदेशों से यहां दो लाख 76 हजार शिलाएं आई थीं। इसके अलावा यत्रतत्र से भी व्यक्तिगत स्तर पर शिलाएं लाई गयी थी। इस तरह इनकी संख्या तीन लाख के करीब है।