अशरफ सिर्फ अतीक का भाई नहीं खुद भी एक खतरनाक गैंगस्टर

Update: 2023-03-08 11:35 GMT

इलाहाबाद न्यूज़: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मरियाडीह गांव में सुरजीत और अलकमा की दोहरी हत्या के मामले में माफिया डॉन अतीक अहमद के माफिया भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अशरफ की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा की वह न सिर्फ माफिया डॉन अतीक अहमद का भाई है बल्कि खुद भी एक खतरनाक गैंगस्टर है. उसकी आजादी गवाहों और कानून पसंद जनता की स्वतंत्रता एवं संपत्ति को खतरे में डाल देगी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अशरफ की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया.

25 सितंबर 2015 को रात साढ़े आठ बजे धूमनगंज इलाके के मरियाडीह गांव में आबिद प्रधान के ड्राइवर सुरजीत और अलकमा को गांव के पास ही गोलियों से छलनी कर दिया गया था. उस वक्त दोनों कार से गांव की ओर जा रहे थे. शुरुआत में इस मामले में कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. बाद में विवेचना में पता चला कि वास्तव में जो लोग नामजद कराए गए हैं, उन्होंने हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया. बल्कि इस हत्याकांड के पीछे अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ और उनके गैंग का हाथ है. इसी आधार पर संपूरक आरोपपत्र में अतीक व अशरफ सहित 13 लोगों का नाम जोड़ते हुए इस दोहरे हत्याकांड की चार्जशीट दाखिल की गई.

अशरफ की ओर से इस मामले में जमानत पर रिहा करने के लिए हाईकोर्ट में यह अर्जी दाखिल की गई थी. कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से अभियुक्त का नाम हत्याकांड की साजिश रचने में सामने आया है. अशरफ इस मामले में लंबे समय तक फरार रहा है और कुर्की एवं एक लाख रुपये तक का इनाम घोषित होने के बावजूद वह गिरफ्त में नहीं आया. कोर्ट ने कहा कि न अभियुक्त न सिर्फ माफिया डॉन अती़क अहमद का सगा भाई है बल्कि वह खुद भी अपराधी और गैंगस्टर है. उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती, रंगदारी जैसे गंभीर अपराधों में 51 मुकदमे लंबित हैं. हाल ही में उसका नाम उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा गार्डों की हत्या में भी सामने आया है. उसके अपराधिक इतिहास से पता चलता है कि जब कभी भी वह जमानत पर बाहर आया, उसने और अपराध किए. उसके द्वारा किए गए अपराध काफी गंभीर हैं. सात बार कुर्की की कार्रवाई होने के बावजूद अशरफ ने सरेंडर नहीं किया. उसकी स्वतंत्रता गवाहों का जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल देगी.

कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित विधि है कि जमानत का आदेश देते समय अपराध की प्रकृति और गंभीरता, अभियुक्त का आपराधिक इतिहास, समाज पर उस अपराध का प्रभाव, अभियुक्त के विरुद्ध उपलब्ध साक्ष्य आदि पर भी विचार किया जाता है.

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