Allahabad: प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कॉलेज की शुरूआत 140 साल पहले महज 45 छात्रों से हुई थी

140 साल पहले 45 छात्रों से शुरू हुआ सेंट जोसेफ

Update: 2024-11-25 07:26 GMT

इलाहाबाद: कई पीढ़ियों के जीवन में शिक्षा का उजियारा बिखेरने वाले शहर के प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कॉलेज की शुरूआत 140 साल पहले महज 45 छात्रों से हुई थी. को कॉलेज के वार्षिक एथलेटिक मीट और पीटी डिस्प्ले समारोह में कॉलेज की गौरवशाली सफर की झलक भी दिखेगी. सेंट जोसेफ का इतिहास तिब्बत और नेपाल के मिशनरी अभियानों से जुड़ा हुआ है. 1703 में इटली और बोलोग्ना प्रांत के ऑर्डर ऑफ द कैपुचिन ़फ्रियर्स को तिब्बत और नेपाल उपमहाद्वीप में प्रचार के लिए नियुक्त किया गया था.

सेंट जोसेफ का सबसे पहला जिक्र वर्ष 1882 में लड़कों के लिए एक छोटे से पारोकियल (ईसाई) स्कूल के रूप में है. इसका नाम चर्च और पटना कॉन्वेंट के संरक्षक संत-ह्णसेंट जोसेफह्ण के नाम पर रखा गया था. कैथेड्रल पैरिश की ओर से उपलब्ध कराए गए किराए के कमरे से स्कूल की शुरुआत हुई. वर्तमान भवन की आधारशिला डॉ. फ्रांसिस पेस्की ने एक जनवरी 1884 को रखी. पेट्रोनियस फ्रांसिस पहले प्राचार्य बने. उस समय विद्यालय में तीन शिक्षक और 45 छात्र थे. शुरुआत में केवल अंग्रेजी, गणित और भूगोल पढ़ाया जाता था. बाद में 1886 में उर्दू और हिंदी को विषयों के रूप में जोड़ा गया. अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए 1896 में घंटी बजाने और उपस्थिति रजिस्टर की शुरुआत हुई.

1901 में छात्रों की संख्या 100 पार कर गई. स्कूल पुस्तकालय की नींव 1905 में रखी गई. इसे 1887 में माध्यमिक विद्यालय के रूप में मान्यता दी गई और 1900 के दशक की शुरुआत में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से संबद्ध यूरोपीय उच्च विद्यालय नाम दिया गया. तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी ने 1965 में विद्यालय का दौरा किया था. सेंट जोसेफ की प्रतिमा 1984 में स्थापित की गई थी. अमिताभ बच्चन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी स्कूल का दौरा किया था. मीडिया कोऑर्डिनेटर विष्णु देव के अनुसार आज सेंट जोसेफ कॉलेज लगभग सात हजार छात्रों और 200 से अधिक कर्मचारियों के साथ एक प्रतिष्ठित संस्थान है.

रंगमंच के कलाकारों का मार्गदर्शन करेगी कार्यशाला : अनीता

स्वराज विद्यापीठ व समानांतर इंटीमेंट थिएटर इलाहाबाद की ओर से 45 दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का शुभारंभ हुआ. शीर्ष नाटककारों में एक बादल सरकार के जन्मशताब्दी वर्ष में इस कार्यशाला विद्यापीठ के परिसर में हुई. समानांतर की अध्यक्ष प्रो. अनीता गोपेश ने कहा कि यह कार्यशाला जिलों के रंगकर्मियों का मार्गदर्शन करेगी.

मुख्य वक्ता विद्यापीठ के कुलगुरु प्रो. रमाचरन त्रिपाठी ने कहा कि जिस परिसर में यह कार्यशाला हो रही है, वह प्रो. बनवारी लाल शर्मा के आदर्शों और सपनों को आगे बढ़ाने में सहायक हो, ऐसी आशा करता हूं. कार्यशाला के निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने संस्मरण सुनाया. समानांतर के उपाध्यक्ष एसके यादव व संस्था से जुड़े कथाकार मनोज पांडेय ने विचार रखे. स्वराज विद्यापीठ की अध्यक्ष सुमन शर्मा ने आभार ज्ञापित किया. संयोजक पूर्ण प्रकाश साहू, अरूप मित्रा, वर्तिका, आशीष रहे.

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