Allahabad: डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं ने केंद्र सरकार के कान खड़े किये
झांसे में न आएं
इलाहाबाद: हाल कि दिनों में डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में वृद्धि ने केंद्र सरकार तक के कान खड़े कर दिए है. इसी की नतीजा है कि गृह मंत्रालय ने हाल ही में ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटालों में वृद्धि के बारे में चेतावनी जारी की है. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी), माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से इस संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध का मुकाबला कर रहा है. हालांकि इसके बावजूद साइबर शातिरों के हौसले में कमी नहीं आई है और आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बना रहे हैं. ये साइबर शातिर इतने दुस्साहसी हैं कि जज से लेकर वरिष्ठ आईएएस अफसर और उनके परिजनों को भी ठगने से नहीं हिचक रहे.
जिसमें शामिल साइबर अपराध विशेषज्ञ, पुलिस और विधि विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस या कानून की शब्दावली में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई शब्द नहीं है. यह साइबर शातिरों का दिया हुआ शब्द है. इस प्रकार की घटनाओं में साइबर ठग खुद को मुंबई पुलिस, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आदि सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं. पीड़ितों को अवैध गतिविधियों जैसे ड्रग्स या नकली पासपोर्ट जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं को भेजने या मंगाने में शामिल होने का आरोप लगाते हुए फोन करते हैं और फिर उस मामले को बंद करने के लिए बड़ी रकम की मांग कर सकते हैं. इस दौरान साइबर ठग पीड़ित को वीडियो कॉल पर तब तक रहने के लिए मजबूर करते हैं जब तक कि मोटी रकम ऐंठ नहीं लेते.
एडीसीपी श्वेताभ ने कहा कि जागरुकता और सतर्कता से ही साइबर अपराध और खासतौर से डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं से बचा जा सकता है. इस प्रकार के अपराध का एकमात्र उद्देश्य किसी प्रकार से रुपये ट्रांसफर कराना होता है तो एक बात हमेशा याद रखें, कभी भी किसी को ऑनलाइप रुपये ट्रांसफर नहीं करना है. यदि किसी को ऐसी कॉल आती है, तो उन्हें सहायता के लिए तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर या वेबसाइट नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर रिपोर्ट करनी चाहिए.
साइबर सुरक्षा पर ‘हिन्दुस्तान’ की ओर से संवाद का हुआ आयोजन
● साइबर अपराध विशेषज्ञ, पुलिस और विधि विशेषज्ञ हुए शामलि
● पुलिस का नहीं, साइबर शातिरों का दिया हुआ शब्द है डिजिटल अरेस्ट
● जागरूकता-सतर्कता से ही बचाव संभव, अंजान कॉल से रहें सतर्क