आईएचएफएल अफसरों को राहत देने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश रद्द किया
नोएडा: हाईकोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (आईएचएफएल) के अधिकारियों के खिलाफ जांच और किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट को मामले की जांच पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी. जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और पी.बी. वराले की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णयों की श्रेणी में तय की गई कानूनी स्थिति और मानदंडों की अनदेखी की. हाईकोर्ट ने मौजूदा मामलों में न सिर्फ जांच पर रोक लगा दी बल्कि आरोपियों को गिरफ्तारी से पूरी तरह से सुरक्षा दे दी. हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश शीर्ष अदालत द्वारा तय मानदंडों के विपरीत है.
यह है मामला : सुप्रीम कोर्ट में पेश मामले के अनुसार आरोप आईएचएफएल ने 2017 से 2020 के बीच, शिप्रा समूह को 2,801 करोड़ रुपये के ऋण जारी किए. हालांकि, शिप्रा समूह द्वारा ऋण का समय से भुगतान नहीं किए जाने पर आईएचएफएल ने शिप्रा समूह की संपत्ति, विशेष रूप से शिप्रा मॉल को नीलाम कर दिया. इस मामले में बाद में शिप्रा समूह की ओर से मोहित सिंह और अमित वालिया ने आईएचएफएल के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद ईडी ने भी आईएचएफएल के अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया. इसके खिलाफ आरोपियों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.