इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्लीन गंगा मिशन को बताया पैसा बांटने की मशीन योजना

Update: 2022-09-27 05:53 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा प्रदूषण से जुड़े याचिका पर सुनवाई करते तख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि क्लीन गंगा मिशन योजना सिर्फ पैसा बांटने की मशीन रह गई है। यह पैसा कहां खर्च हो रहा है इसकी न तो निगरानी की जा रही है और ना ही कोई हिसाब ले रहा। देखा जाए तो जमीनी स्तर पर कोई काम दिखाई नहीं पड़ रहा है। काम केवल आंखों को धोखा देने वाला मिशन है। इस मिशन के तहत करोड़ों रुपए अब तक गबन हो गए होंगे।

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति एमके गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मिशन की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। इसके साथ ही केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि वित्त वर्ष 2014-15 से 2021-22 के दौरान 11,993.71 करोड़ रुपये विभिन्न विभागों को दिए गए हैं। इसके अलावा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में निगरानी कमेटी बनी है। उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे 13 शहरों में 35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। इसके अलावा सात शहरों में 15 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव है। फिलहाल 95 प्रतिशत सीवेज का शोधन किया जा रहा है।

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