इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश- सरकारी कर्मचारी एक बार दोषमुक्त हुआ तो दोबारा विशेष कारण पर होगी जांच

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी आरोप पर हुई विभागीय जांच में सरकारी कर्मचारी के दोषमुक्त पाए जाने पर उसी आरोप में नई जांच विशेष कारणों के सामने आने पर ही हो सकती है।

Update: 2022-08-13 01:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी आरोप पर हुई विभागीय जांच में सरकारी कर्मचारी के दोषमुक्त पाए जाने पर उसी आरोप में नई जांच विशेष कारणों के सामने आने पर ही हो सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने मिर्जापुर के भगवती प्रसाद की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची को 2011 में सिंचाई विभाग में हेल्पर नियुक्त किया गया था।

2020 में याची को कूटरचित दस्तावेज एवं जन्मतिथि में हेरफेर आदि आरोपों के सिद्ध होने पर बर्खास्त कर दिया गया था। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2016 में भी इन्हीं आरोपों पर हुई विभागीय जांच में कर्मचारी निर्दोष पाया गया था। उसके बाद दूसरी जांच में याची की सेवा समाप्त कर दी गई है। उन्होंने तर्क दिया कि विभागीय जांच के दौरान याची की आयु का निर्धारण वैज्ञानिक प्रणाली से कराने की आवश्यकता थी। इसके अलावा अभिलेखों की जांच में भी विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाचार्य को शामिल नहीं किया गया।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि आयु निर्धारण के लिए जांच दल को आधुनिक मेडिकल पद्धति का सहयोग लेना था। साथ ही अभिलेख सत्यापन के लिए विद्यालय के अधिकारियों को जांच में शामिल कर रिकॉर्ड तलब करना चाहिए था। विभाग ने याची को इन्हीं आरोपों पर 2016 में दोषमुक्त पाया था। ऐसी स्थिति में दोबारा जांच नए ठोस कारणों के मिलने पर ही की जा सकती थी।
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