Allahabad: माफिया की चार और कुर्क संपत्ति राज्य सरकार के नाम होगी

न्यायिक परीक्षण के लिए पत्रावली गैंगस्टर कोर्ट भेज दी गई

Update: 2024-08-02 07:51 GMT

इलाहाबाद: माफिया अतीक अहमद की चार और संपत्तियां राज्य सरकार में निहित होंगी. ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, धूमनगंज के नसीरपुर सिलना स्थित इन संपत्तियों को राज्य सरकार में निहित करने का पुलिस कमिश्नर कोर्ट से फैसला हो चुका है. सीपी कोर्ट से इस फैसले के न्यायिक परीक्षण के लिए पत्रावली गैंगस्टर कोर्ट भेज दी गई है.

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 36 में स्थित भूखंड की वर्तमान में कीमत करोड़ों रुपये बताई जा रही है. यह माफिया अतीक अहमद के नाम है. गैंगस्टर के मामले में कुर्क किए जाने से पूर्व पुलिस ने विक्रेता, गवाहों के दस्तावेज, बैंक खातों की डिटेल खंगाली थी. जांच के दौरान कई खाते मिले, जिनसे रकम स्थानांतरित की गई थी. यह संपत्ति भी माफिया ने अपनी दबंगई और काली कमाई से अर्जित की थी. लखनऊ में गोमतीनगर के विजयंतनगर में मकान और भैंसोरा में जमीन है. वहीं धूमनगंज के नसीरपुर सिलना में स्थित 8750 वर्गमीटर जमीन शामिल है. इन संपत्तियों को पूर्व में कुर्क किया जा चुका है. इन चारों कुर्क संपत्तियों की वर्तमान में कीमत लगभग 50 करोड़ बताई जा रही है. पुलिस इसे गैंगस्टर में कुर्क कर चुकी है. पुलिस कमिश्नर कोर्ट ने कुर्क संपत्तियों को वैध आय स्त्रत्तेत से अर्जित करने के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए आरोपियों के प्रतिनिधि को कार्रवाई के बारे में सूचित करने का आदेश दिया. लेकिन प्रतिनिधियों की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. इस पर पुलिस कमिश्नर कोर्ट ने कुर्की की कार्रवाई को न्याय संगत माना. साथ ही पुलिस कमिश्नर कोर्ट के फैसले के न्यायिक परीक्षण के लिए पत्रावली गैंगस्टर कोर्ट को भेज दी गई है.

बेली अस्पताल में एमआरआई की जांच शुरू: बेली अस्पताल में एमआरआई जांच सामान्य रूप से संचालित होने लगी है. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि को एसी की समस्या के कारण कुछ समय के लिए व्यवधान आया था, लेकिन कुछ देर में एसी का तापमान सही हो जाने से एमआरआई होने लगी. मरीजों को एमआरआई जांच के तीसरे दिन रिपोर्ट दिए जाने का समय निर्धारित है. जबकि शहर के अन्य अस्पतालों में एमआरआई की जांच व रिपोर्ट के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. अस्पताल में दो माह से बन रही आरसीसी सड़क भी अब तैयार हो गयी है. इससे मरीजों को स्ट्रेचर व व्हीलचेयर पर लाने व ले जाने में दिक्कत नहीं होगी.

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