Allahabad: डीएपी पूरी तरह से न मिलने की स्थिति में ही किसान टीएसपी ले रहा
क्षेत्रीय किसान टीएसपी नहीं खरीद रहे
इलाहाबाद: रबी की फसलों की बुवाई में किसान सबसे ज्यादा डीएपी पर भरोसा करता है. इसके चलते इस बार डीएपी को लेकर जनपद के कई केंद्रों पर मारामारी रही. विभाग की तरफ से किसानों के लिए डीएपी के विकल्प टीएसपी दिया गया. मगर, किसानों ने उस पर भरोसा नहीं किया. डीएपी पूरी तरह से न मिलने की स्थिति में ही किसान टीएसपी ले रहा है.
जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि पहली बार टीएसपी (ट्रिपल सुपर फास्फेट) जिले में आया है. ये उर्वरक डीएपी की तरह ही है. किसान आमतौर पर फॉस्फेटिक उर्वरक में डीएपी का इस्तेमाल फसलों विशेषकर आलू, गेहूं, सरसों के लिए अत्यधिक मात्रा में करते हैं. डीएपी के अलावा टीएसपी भी फॉसफोरस का अच्छा स्त्रत्तेत है. इसमें भी डीएपी की तरह 46 प्रतिशत फॉस्फोरस पोषक तत्व पौधों को घुलनशील अवस्था में उपलब्ध कराकर वृद्धि में और विकास में सहायक होते हैं. कृषक अगर टीएसपी के तीन बैग के साथ एक बैग यूरिया का प्रयोग करते हैं तो यह उर्वरक भी मृदा में घुलकर उतना ही प्रभावी तरीके से काम करते हुए आवश्यक पोषक तत्व फसलों को उपलब्ध कराएगा. एक बैग टीएसपी में 15-20 किलो यूनिया का प्रयोग करते हैं तो एक बैग डीएपी की जरूरत पूरी हो जाती है. किसानों को उर्वरक की कमी न हो इसके लिए केंद्रों पर 600 मीट्रिक टन टीएसपी भेजा गया था.
कृषकों में नहीं दिखा रुझान: टीएसपी को लेकर किसान संशय में है. विभाग की तरफ से 600 मीट्रिक टन टीएसपी केंद्रों को भेजा गया था. जिसमें अभी तक 342 मीट्रिक टन ही वितरण हो पाया. ये वितरण भी उन स्थितियों में हुआ जब किसान को डीएपी कहीं नहीं मिली. विभाग की तरफ से अब तक 15872 मीट्रिक टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है. इसकी तुलना में टीएसपी की संख्या न के बराबर है. जिला कृषि अधिकारी का कहना है कि नए उर्वरक को किसान धीरे-धीरे खरीद रहा है. उसके परिणाम आने के बाद किसान का विश्वास बढ़ेगा.