UP के सभी विभागों को 5 सितंबर तक ई-ऑफिस लागू करने का आदेश

Update: 2024-08-29 13:11 GMT

लखनऊ Lucknow: उत्तर प्रदेश की सरकार ने ई-ऑफिस प्रणाली को लागू करने के लिए सभी विभागों को निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि 5 सितंबर तक ई-ऑफिस प्रणाली को हर हाल में लागू किया जाए। इस कदम का उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाना है, लेकिन कई विभागों में इसकी स्थिति चिंताजनक है। मुख्यमंत्री के सचिव एसपी गोयल ने कई विभागों को पत्र भेजकर ई-ऑफिस के प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की है, खासकर उन जिलों और विभागों में जहां ई-ऑफिस की प्रक्रिया बहुत धीमी रही है।

उत्तर प्रदेश सचिवालय और कुछ विशिष्ट विभागों को छोड़कर Biometric Attendance की प्रणाली को लागू करने में भी समस्याएँ आ रही हैं। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने जून तक बायोमैट्रिक सिस्टम लागू करने का आदेश जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद लोक भवन, सचिवालय और कुछ अन्य विभागों में यह व्यवस्था प्रभावी नहीं हो पाई है। इसके परिणामस्वरूप लाखों कर्मचारी और हजारों अधिकारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं और उनकी उपस्थिति की निगरानी भी ठीक से नहीं हो पा रही है। वर्तमान में, उत्तर प्रदेश के 20 लाख कर्मचारियों में से केवल 50 हजार ही बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से जुड़े हैं।
ई-ऑफिस की शुरुआत के बाद से, उत्तर प्रदेश के 15 मंडलों ने इसे प्रारम्भ कर दिया है। हालांकि, सात मंडलों में ई-फाइल की संख्या बहुत कम है और चार मंडलों में ई-फाइल की मूवमेंट शुरू ही नहीं हुई है। अयोध्या, देवीपाटन, और मुरादाबाद जैसे मंडलों में ई-ऑफिस की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। जिलाधिकारी कार्यालयों में भी ई-ऑफिस की स्थिति असंतोषजनक है। 75 जिलों में ई-ऑफिस को शुरू कर दिया गया है, लेकिन 21 जनपदों में ही स्थिति संतोषजनक है। बाकी जनपदों में ई-फाइल की संख्या बहुत कम है या फिर ई-फाइल मूवमेंट प्रारम्भ ही नहीं हुआ है।
नगर निगमों में भी स्थिति एक जैसी है। अलीगढ़, लखनऊ, बरेली, और सहारनपुर नगर निगमों ने ई-ऑफिस की शुरुआत कर दी है, लेकिन अलीगढ़ और लखनऊ नगर निगमों में ही स्थिति कुछ बेहतर है। बरेली में ई-फाइल की संख्या बहुत कम है और सहारनपुर नगर निगम में ई-फाइल की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। 13 नगर निगमों में ई-ऑफिस की शुरुआत अब तक नहीं हो पाई है, और शाहजहांपुर नगर निगम में एजेंसी भी नामित नहीं की गई है।
विकास प्राधिकरणों में भी स्थिति
निराशाजनक
रही है। वाराणसी और सहारनपुर द्वारा E-Office को प्रारम्भ कर दिया गया है, लेकिन फाइलों की मूवमेंट बहुत कम है। बाकी 27 विकास प्राधिकरणों में ई-ऑफिस की शुरुआत नहीं हुई है और जालौन तथा रामपुर जैसे प्राधिकरणों में एजेंसी भी नामित नहीं की गई है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्थिति पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और सभी मण्डलों, जनपदों, नगर निगमों, और विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि वे 5 सितंबर तक ई-ऑफिस को अनिवार्य रूप से लागू करें। एसपी गोयल ने इसे शासन के सर्वोच्च प्राथमिकता के कार्यक्रम के रूप में देखते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को ई-ऑफिस की प्रणाली को गंभीरता से अपनाने के लिए कहा है।
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