Aligarh: 17 हजार से ज्यादा हिंसा पीड़िताओं को सरकारी मरहम का इंतजार

"17 हजार प्रकरण लंबित"

Update: 2024-12-26 06:07 GMT

अलीगढ़: हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए प्रदेश में रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना संचालित है. हैरत की बात है इस योजना के अर्न्तगत प्रदेश में 17 हजार से ज्यादा हिंसा पीड़िताओं को सरकारी मरहम का इंतजार है. महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव ने प्रदेश के सभी डीएम को लंबित मामले निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं. 2015 में प्रदेश सरकार के द्वारा उप्र रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना की शुरूआत की गई थी. योजना का संचालन वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जाता है. योजना के अन्तर्गत नौ जघन्य अपराध से पीड़ित महिलाओं/ बालिकाओं को एक लाख से 10 लाख तक की क्षतिपूर्ति की धनराशि पीड़िता को दी जाती है. बीते दिनों शासन स्तर पर प्रदेश के सभी जिलों में इस योजना की समीक्षा की. जिसमें प्रदेशभर में 17 हजार 185 प्रकरण लंबित पाए गए. महिला कल्याण की प्रमुख सचिव लीना जौहरी के अनुसार योजना से सम्बन्धित वेब पोर्टल की 18 नवंबर की रिपोर्ट के अनुसार जनपद स्तर पर नोडल पुलिस अधिकारी के स्तर पर 699, नोडल मेडिकल अधिकारी के स्तर पर 7565 तथा जिला संचालन समिति के स्तर पर 8921 प्रकरण निस्तारण हेतु लम्बित है. प्रदेश के 04 जनपदों में 500 से अधिक, 17 जनपदों में 301 से 500 के मध्य, 39 जनपदों में 100 से 300 के मध्य तथा 15 जनपदों में 100 से कम प्रकरण विभिन्न स्तर पर निस्तारण हेतु लम्बित है.केस होंगे निस्तारित

रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बालिका सम्मान कोष योजना को लेकर बीते दिनों प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में की गई बैठक में भी अधिकारियों को लंबित प्रकरणों को निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं. जल्द ही लंबित प्रकरणों का निस्तारण कराया जाएगा.

मीना कुमारी, सदस्य, राज्य महिला आयोग.

प्रतिमाह समिति की बैठक कराने के निर्देश

प्रमुख सचिव महिला कल्याण ने सभी डीएम को निर्देश दिए हैं कि योजनान्तर्गत जनपद स्तर पर लम्बित प्रकरणों का निस्तारण करने के लिए संबंधित नोडल अधिकारियों को निर्देशित करने व योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए प्रतिमाह जिला संचालन समिति की बैठक करें.

मामले लंबित होने से शासन की मंशा विफल

समीक्षा के बाद प्रमुख सचिव महिला कल्याण की ओर से प्रदेश के सभी डीएम को पत्र जारी किया गया है. जिसमें लिखा गया है कि क्षतिपूर्ति के प्रकरणों के अधिक समय तक लम्बित रहने से पीड़ित महिला को ससमय सहायता उपलब्ध कराने की शासन की मंशा विफल होती है.

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