Aligarh: केंद्र को कार से कैंसर फैलाने वाले रसायन के बारे में कोई जानकारी नहीं

"पिछली सुनवाई में सीपीसीबी और आईसीएमआर भी अपना पल्ला झाड़ चुके"

Update: 2025-01-17 08:00 GMT

अलीगढ़: कारों के केबिन खासकर डैशबोर्ड से कैंसर फैलाने वाला जहरीला रसायन निकलता है या नहीं, इस बारे में केंद्र सरकार और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पेश अपनी-अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और एआरएआई ने इसका पता लगाने के लिए शोध की जरूरत बताई है. इस मामले में पिछली सुनवाई में सीपीसीबी और आईसीएमआर भी अपना पल्ला झाड़ चुके हैं.

एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्रालय ने कहा कि कारों से कैंसर फैलाने वाला रसायन निकलने के दावों की पुष्टि के लिए उसके पास कोई आंकड़े नहीं है.

मंत्रालय ने कहा कि इन पदार्थों के संभावित प्रभावों की गहन जांच के लिए सभी संबंधित हितधारकों (जैसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, आदि) को शामिल करते हुए एक व्यापक अध्ययन की जरूरत है.

अग्निरोधी रसायनों के प्रभाव नहीं जान पाती एआरएआई

रिपोर्ट में कहा गया कि वह परीक्षण में एक नमूने को जलाना और जलने की दर को माप सकता है लेकिन अग्निरोधी रसायनों और उसके प्रभाव के बारे में पता नहीं लगा सकती. रिपोर्ट में कहा गया कि उसके पास वाहनों में इस्तेमाल होने वाले अग्निरोधी रसायनों की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए परीक्षण सुविधा नहीं है.

सीपीसीबी पहले ही इस मामले से पल्ला झाड़ चुकी

इस मामले में सीपीसीबी पहले ही पल्ला झाड़ चुकी है और आईसीएमआर भी निश्चित रूप से कुछ नहीं कह पा रही है. सीपीसीबी ने एनजीटी के समक्ष पेश रिपोर्ट में खुद स्वीकारा था कि वाहनों से निकलने वाले टीसीआईपीपी, टीडीसीआईपीपी और टीसीईपी की जांच उसके पास पर्याप्त संसाधन नहीं है.

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