लखनऊ न्यूज़: अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की नाकामी और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की वजह से प्रदेश में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। राजधानी सहित तमाम जनपदों में रोजाना डेंगू के नए मरीज मिल रहे हैं। सरकारी सिस्टम लाचार है और मुख्यमंत्री जी दूसरे प्रदेशों के विधानसभा चुनावों में प्रचार करने में व्यस्त हैं। सरकार की लापरवाही इस हद तक है कि हाईकोर्ट को यह बताना पड़ गया कि उसे स्कूल कॉलेजों में फागिंग कराना चाहिए। मच्छरों की बढ़त रोकने में असफलता के चलते ही डेंगू बुखार फैला है पर उधर कौन देखता है? इधर अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा मरीज सरकारी आंकड़ों में दर्ज हो चुके है जबकि निजी तौर पर इलाज कराने वालों की कोई गिनती नहीं होती है। भाजपा सरकार ने हर जिले में डेंगू से राहत के लिए डेडिकेटेड हॉस्पिटल का सपना दिखाया पर जब सरकार ही जनता के लिए डेडीकेटेड नहीं हैं तो वह डेडिकेटेड हॉस्पिटल कहां से बनाएगी?
कैसी विडम्बना है कि डेंगू के इतने प्रकोप के बावजूद राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में जांच में अभी भी दिक्कते पेश हो रही है। बुखार में तपता और दर्द से कराहता बीमार व्यक्ति खून की जांच की लाइन में घंटों लगा रहने को मजबूर है। जांच की रिपोर्ट मिलने में भी कई-कई दिन लग जाते हैं। इससे समय पर इलाज नहीं हो पाता है। दवा के लिए भी लोग परेशान होते हैं। अस्पतालों में प्लेटलेट्स की मांग बढ़ रही है। कमाई के चक्कर में एक मरीज को तो मौसमी का जूस तक चढ़ा दिया गया था। उस मरीज की दुःखद मृत्यु हो गई। भाजपा सरकार में फैली अव्यवस्थाओं के कारण ही रोज-कितने ही लोगों की जानें जा रही है। गोरखपुर के चौरी चौरा थाने में तैनात महिला सिपाही की डेंगू से मृत्यु हो गई। मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में डेंगू मरीजों की संख्या 200 से अधिक हो गई। भाजपा सरकार अब पूरी तरह स्थिति पर नियंत्रण खो चुकी है।
ज्यादातर स्थानीय निकायों में भाजपा ही काबिज है और उसी के प्रभाव से इन्हीं क्षेत्रों में मच्छर जनित बीमारियों का ज्यादा प्रकोप है। मच्छरों से बचाव के लिए नालों-नालियों की सफाई समय से और दवाओं के छिड़काव की व्यवस्था पहले से क्यों नहीं की गई? भाजपा सरकार की डेंगू से बचाव में जो उदासीनता दिख रही है वहीं रवैया उसका कोविड संकट के समय भी दिखा था। तब भी जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया था। भाजपा का यह अमानवीय रूख निंदनीय है।