गोरखपुर एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वायुसेना देगी 44 एकड़ जमीन, बदले में मिलेगी दूसरी जमीन
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गोरखपुर एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वायुसेना 44 एकड़ जमीन देगी। बदले में जिला प्रशासन सेना को दूसरी जमीन देगा। प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार भी सहमत है। ज्यादातर औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। जल्द ही जमीन एयरपोर्ट को मिल जाएगी। उसके बाद वाराणसी और लखनऊ एयरपोर्ट की तरह इसका विस्तार किया जाएगा।
गोरखपुर एयरपोर्ट वायुसेना क्षेत्र में हैं। सिर्फ संचालन नागरिक विमानन विभाग करता है। अभी यहां से एक दर्जन उड़ानें हैं लेकिन ओरिजिन किसी की नहीं है, यानी दूसरे शहरों से विमान आते हैं और फिर यहां से वापस चले जाते हैं। इसकी वजह यहां एप्रेन (जहाज की पार्किंग) की क्षमता महज एक विमान की है। इन्हीं दिक्कतों की वजह से उड़ानों की संख्या भी नहीं बढ़ पा रही है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर जिला प्रशासन ने एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वायुसेना से जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा। यूपी सरकार ने इसे केंद्र को भेजा। इस पर केंद्र की सहमति मिल गई। अब वायुसेना और राज्य सरकार के बीच जमीन का हस्तानांतरण होना बाकी है।
वायुसेना को देने के लिए तीन जगह जमीन चिन्हित
एयरपोर्ट को जमीन के बदले जिला प्रशासन ने भी वायुसेना को जमीन सौंपने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए तीन अलग-अलग क्षेत्रों में जमीन चिन्हित की गई है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर कुलदीप मीणा ने बताया कि वायुसेना को बदले में देने के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है।
विस्तार के बाद बढ़ सकेंगी उड़ानें
एयरपोर्ट को 44 एकड़ जमीन मिल जाने से जहां टर्मिनल का विस्तार होगा वहीं एप्रेन (जहाज की पार्किंग) की संख्या 10 हो जाएगी। इससे उड़ानों की संख्या बढ़ जाएगी और गोरखपुर एयरपोर्ट टर्मिनल भी लखनऊ और वाराणसी के समकक्ष खड़ा हो सकेगा। एयरपोर्ट विस्तार में चार गेट बनाए जाएंगे। चार गेट से प्रवेश और चार गेट से निकासी होगी।
क्षमता से नौ गुना यात्री
गोरखपुर एयरपोर्ट क्षमता से नौ गुना अधिक यात्रियों को लाने और ले जाने का काम कर रहा है। इस एयरपोर्ट की क्षमता प्रति माह 8 हजार यात्रियों के आने-जाने की है। लेकिन यात्री संचलन में यह रिकार्ड कायम कर चुका है। यहां से एक माह में 70 हजार से ज्यादा यात्री यात्रा करते हैं। अब तक की अधिकतम यात्री संख्या 85777 है।