आगरा: मां ने अवैध रूप से रखा था पालतू लंगूर, लापरवाही ने ली बच्चे की जान

लापरवाही ने ली बच्चे की जान

Update: 2022-07-28 11:36 GMT

आगरा. वन्यजीव शोषण के एक दुखद मामले में, आगरा के स्वामीबाग में बढ़ती बंदरों की आबादी से निपटने के लिए एक मादा लंगूर को अवैध रूप से पालतू जानवर के रूप में रखा था, जिसने मालिक की लापरवाही के कारण अपने शिशु को खो दिया. अपने बच्चे को आँखों के सामने दम तोड़ते देख, माँ लंगूर को मानसिक आघात पंहुचा है. वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने मादा लंगूर को सफलतापूर्वक वहाँ से बचाया, जो वर्तमान में चिकित्सकीय निगरानी में हैं.

वन्यजीवों के शोषण की गंभीर वास्तविकता को उजागर करते हुए एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां एक मादा लंगूर और उसके सप्ताह भर के बच्चे को बढती बंदरों की आबादी और आतंक से निजात दिलाने के लिए स्वामीबाग के आवासीय क्षेत्र में अवैध रूप से रखा गया था. दोनों को हर वक़्त गले में रस्सी बांधकर कठोर परिस्थितियों में रखा जाता था. उनका मालिक उन्हें बाँध कर चला गया जिसके बाद बच्चा खेलते खेलते पेड़ पर चढ़ा और उसकी रस्सी डाल में फस गई, जिसके बाद बच्चा नीचे गिरा और उसकी दम घुटने से मृत्यु हो गई. मालिक द्वारा की गई लापरवाही के कारण, बच्चे ने अपनी माँ के सामने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया, जिससे माँ व्याकुल हो गई और मानसिक रूप से कमज़ोर भी. अपने शिशु की मृत्यु का सामना करने में असमर्थ, माँ लंगूर गंभीर रूप से बीमार पड़ गई.
वाइल्डलाइफ एसओएस को कॉल करने वाली प्रीति ने बताया, "लोगों के लिए लंगूरों को पकड़ना और फिर बंदरों को डराना काफी आम बात है. इन लंगूरों को भयानक परिस्थितियों में रखा जाता है, अक्सर बिना किसी भोजन या पानी के कई दिनों तक एक ही जगह बाँध कर छोड़ दिया जाता है। इस मादा लंगूर के जीवन को बचाने और समय पर हस्तक्षेप के लिए मैं वाइल्डलाइफ एसओएस की आभारी हूं."
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, "यह महज़ एक मिथक एक भ्रम है कि बंदर लंगूरों से डरते हैं, लंबे समय से शहरी क्षेत्रों में बंदरों की बढ़ती आबादी से निपटने के लिए मनुष्यों द्वारा लंगूरों का दुरुपयोग किया जाता रहा है. जिसके कारण इन लंगूरों को पकड़ कर क्रूर परिस्थितियों में रखा जाता है. यह जरूरी है की लोगों में इस भ्रम और लंगूरों को लेकर जागरूकता फैलाई जाए और उन्हें शिक्षित किया जाए.


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