Agra: यमुना की सतह से तलहटी तक माइक्रो प्लास्टिक का जहर

नदियों के मैदानी इलाकों के ईको सिस्टम पर भी खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता.ता.

Update: 2024-06-24 05:07 GMT

आगरा: मोक्षदायिनी नदियों में माइक्रो प्लास्टिक का जहर बढ़ता ही जा रहा है. चिंताजनक बात यह है कि प्लास्टिक के छोटे-बड़े टुकड़े और सूक्ष्म अंश न सिर्फ यमुना की सतह पर मिले हैं बल्कि जल के अंदर और तलहटी तक इससे प्रदूषित है. इससे इन नदियों के किनारे रहने वाली बड़ी आबादी के अलावा नदियों के मैदानी इलाकों के ईको सिस्टम पर भी खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता.

राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान गोवा और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद नई दिल्ली के वैज्ञानिकों की ओर से हरिद्वार, आगरा, प्रयागराज और पटना में किया गया अध्ययन जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटेरियल्स के 5 मई 2024 के अंक में प्रकाशित हुआ है. प्लास्टिक के छोटे-बड़े टुकड़े और सूक्ष्म अंश शुष्क मौसम की बजाए बारिश में अधिक पाए गए. दोनों नदियों के जल में मिले प्लास्टिक में सर्वाधिक टुकड़े 300 माइक्रोन से एक मिमी तक आकार के हैं. अधिकांश टुकड़े नीले और काले रंग के थे. सतही जल में बारिश के दौरान प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों की मौजूदगी हरिद्वार में सर्वाधिक, जबकि पटना में सबसे कम पाई गई. शुष्क मौसम में आगरा में माइक्रोप्लास्टिक सबसे अधिक, जबकि पटना व हरिद्वार में कम था. अध्ययन में यह भी समझने की कोशिश की है कि वर्षा जल इन नदियों में प्लास्टिक की उपस्थिति को कैसे प्रभावित करता है.

यमुना और गंगा सहित प्रदेश की नदियों को सीवेज मुक्त करके उनके कायाकल्प की दिशा में समिति काम करेगी. सहायक-छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलेगा. नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में जनजागरण के साथ लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित भी करेंगे. यमुना-गंगा समेत नदियों के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने पर काम होगा. विलुप्त प्राय नदियों को भी जीवित किया जाएगा.

प्रो. राधाकृष्ण दीक्षित, सदस्य, कमेटी

समुद्र से तीन गुना तक प्लास्टिक कचरा मिला

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर के समुद्रों में 30 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पहुंच चुका है जबकि नदियों में इससे काफी बड़ी मात्रा (9 मिलियन टन) प्लास्टिक जमा हो चुकी है. माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण के लिहाज से गंगा विश्व की शीर्ष 20 नदियों में दूसरी सर्वाधिक प्रदूषित नदी है.

आखिर क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक: प्लास्टिक के बड़े टुकड़े जब टूटकर छोटे-छोटे सूक्ष्य कणों में बदल जाते हैं, तो उन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है. इसके साथ ही कपड़ों और अन्य वस्तुओं के माइक्रोफाइबर के टूटने पर भी माइक्रोप्लास्टिक्स बनते हैं. आमतौर पर प्लास्टिक के एक माइक्रोमीटर से पांच मिलीमीटर के टुकड़े को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है.

नदियों को पुनर्जीवित करने को कमेटी गठित: गंगा-यमुना और छोटी छोटी सहायक नदियों के स्वच्छ-संरक्षित व पुनर्जीवित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने उत्तर प्रदेश के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी गठित की है. उद्देश्य है विलुप्त होती नदी सभ्यता को पुर्नजीवित करना, आर्थिक गतिविधियां बढ़ाना. यूपी भर से नदी संरक्षण को लेकर डीएम के माध्यम से आने वाले प्रस्तावों पर विचार करना, जमीनी स्तर पर चलने वाली गतिविधियों में शासन से अपने अनुभवों को साझा करना.

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