Agra: ताजनगरी में एक गरीब के लिए आयुष्मान कार्ड छलावा साबित हुआ

हृदयाघात का मरीज अस्पताल में पोर्टल पर किसी और का नाम

Update: 2024-12-14 08:52 GMT

आगरा:  ह्रदय आघात होने पर मरीज कार्ड की बूते निजी अस्पताल में भर्ती हो गया. अस्पताल ने जब पोर्टल पर कार्ड का ब्यौरा भरा तो उसमें किसी दूसरे का नाम निकला. गरीब मरीज को अस्पताल से बाहर निकाल दिया. इलाज अधर में लटक गया.

कहानी पान की दुकान चलाने वाले विनोद कुशवाह पुत्र करन सिंह कुशवाह निवासी सराय ख्वाजा की है. बीते साल शासन ने छह या उससे अधिक सदस्यों वाले परिवारों के आधार कार्ड बनाए थे. विनोद ने भी उसी दौरान अपना आयुष्मान कार्ड बनवाया था. परिवार वालों के मुताबिक घर के पास लगे स्वास्थ्य विभाग के शिविर में पूरे घर के छह कार्ड बनाए गए थे. इसके लिए 60-60 रुपए भी लिए गए.

स्वास्थ्य विभाग ने बताया फर्जी है कार्ड

फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर के प्रतिनिधि सत्येंद्र यादव ने इसकी शिकायत सीएमओ से की तो उन्होंने डा. आशीष चौहान से बात करने को कहा. सत्येंद्र के मुताबिक डा. चौहान ने उन्हें बताया कि विनोद का आयुष्मान कार्ड ही फर्जी है. विभाग ने मरीज को एक अन्य अस्पताल में भर्ती कराने को कहा. जब सत्येंद्र ने पूछा कि उस अस्पताल में कार्ड कैसे चल जाएगा, तब विभागीय अधिकारी इधर-उधर की बात बनाने लग गए.

सिर्फ नाम बदला बाकी जानकारी ठीक

विनोद की आधार आईडी 227306671287 पर पुत्र करन सिंह कुशवाह, 61/105 रसूलपुर सराय ख्वाजा पता दर्ज है. वीआईडी नंबर 9187591249239547 दर्ज है. जबकि मोबाइल नंबर 7417993712 छपा हुआ है. फैमिली आईडी 091500271760064021400005 दर्ज है. यह सभी जानकारियां आयुष्मान पोर्टल पर समान हैं सिर्फ नाम बदल गया है.

2.5 लाख कैसे जुटाए पांच बेटियों का बाप

विनोद पान की दुकान चलाते हैं. उनके परिवार में पत्नी के साथ पांच लड़कियां हैं. डाक्टर ने कहा है कि तीन से पांच दिनों के अंदर स्टेंट डालना होगा. इससे काम चल जाएगा तो करीब पांच साल बाद बाईपास सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है. अच्छे स्टेंट डालने में करीब 2.5 लाख रुपए का खर्चा आ रहा है. अब दिक्कत यह कि जैसे-तैसे परिवार की गुजर-बसर चलाने वाले विनोद अचानक ढाई लाख रुपए का इंतजाम कैसे करें.

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