हाईकोर्ट के मदरसा बोर्ड को लेकर दिए गए निर्णय के बाद 118 मदरसों के 4000 छात्रों के भविष्य पर संकट
118 मदरसों में 14 मदरसे सहायता प्राप्त हैं
बस्ती: इलाहाबाद हाईकोर्ट के मदरसा बोर्ड को लेकर दिए गए निर्णय के बाद जिले के 118 मदरसों में पढ़ने वाले लगभग 4000 छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है. इन 118 मदरसों में 14 मदरसे सहायता प्राप्त हैं, जबकि शेष यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं.
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 04 को पारित किया गया. अन्य बोर्ड की तरह इस बोर्ड से जारी पाठयक्रम के तहत मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षा दी जाती है. बोर्ड समय पर परीक्षा का आयोजन कराता है. जानकारों का कहना है कि मदरसा बोर्ड के तहत मदरसों में कक्षा आठ तक बेसिक शिक्षा परिषद का पाठयक्रम ही पढ़ाया जाता है, इसके अलावा अरबी भाषा की अतिरिक्त शिक्षा दी जाती है. यहां के मुंशी/मौलवी की मान्यता हाईस्कूल व आलिम की इंटर के समान है. प्रदेश सरकार में मान्य इन डिग्रियों को हासिल कर काफी लोगों ने उच्च शिक्षा ग्रहण की तथा काफी लोग इन डिग्रियों की सहायता से सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. यही नहीं मदरसा बोर्ड की गुणवत्तापरक शिक्षा को देखते हुए बोर्ड की कामिल व फाजिल की डिग्री कई विवि में मान्य है. कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा के एक बड़े क्षेत्र पर ग्रहण लग गया है. अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालजी यादव ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन शासन स्तर पर किया जा रहा है. शासन से जो निर्देश मिलेगा उसका पालन होगा.
धर्म की नहीं हम जुबान व अदब की शिक्षा देते हैं जामिया हनफिया रहमतगंज के मौलाना रियाज अहमद कहते हैं कि मदरसा बोर्ड के तहत कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा रही है. हम केवल जुबान व अदब की शिक्षा देते हैं.
देवबंद से संचालित मदरसे नहीं होंगे प्रभावित
दारूल ऊलूम दरियाखां व इस्लाहुल मुस्लमीन जमदाशाही दो बड़े मदरसे दारूल ऊलूम देवबंद से मान्यता प्राप्त हैं. इन मदरसों पर हाईकोर्ट के आदेश का असर नहीं पड़ेगा. जानकारों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कानून बनाया जाता है तो देशभर के मदरसे प्रभावित हो सकते हैं. दारूल ऊलूम दरिया खां के मुफ्ती मोहम्मद अहमद का कहना है कि उनका मदरसा बोर्ड से संचालित नहीं है.