सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज अयोध्या में रामजन्मभूमि में झूले पर विराजेंगे रामलला, ऐसे मनेगा उत्सव

कनक भवन, दशरथमहल, रामवल्लभाकुंज, मणिराम छावनी, रामहर्षण कुंज, जानकी महल, कौशलेश सदन, सियाराम किला, लक्ष्मणकिला, हनुमत निवास, हनुमत सदन, हनुमत भवन, हरेराम सदन, बावन मंदिर व हनुमंत किला गहोई मंदिर में झूलनोत्सव शुरू हो गया है।

Update: 2022-08-02 01:30 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कनक भवन, दशरथमहल, रामवल्लभाकुंज, मणिराम छावनी, रामहर्षण कुंज, जानकी महल, कौशलेश सदन, सियाराम किला, लक्ष्मणकिला, हनुमत निवास, हनुमत सदन, हनुमत भवन, हरेराम सदन, बावन मंदिर व हनुमंत किला गहोई मंदिर में झूलनोत्सव शुरू हो गया है। मंदिरों के झूलनोत्सव में बहुधा दिखता है, जहां एक ओर विराजमान भगवान और उनके स्वरूप युगल सरकार रूप में झूले पर शोभायमान हैं तो दूसरी ओर लोकनर्तक सखियां नृत्य पेश कर रही हैं। उत्सव में उत्सव का भाव है लेकिन महंगाई ने उत्साह में कमी पैदा की है। फिर भी तड़क-भड़क को लेकर एक प्रतिस्पर्धा भी है। यह प्रतिस्पर्धा जीवन के हर क्षेत्र में है। तो सामाजिक श्रद्धा के केंद्र मंदिर कैसे अछूते रह सकते हैं, क्योंकि यहां भी व्यवहारिकता हावी है।

अलग-अलग मंदिरों और उनके संस्थापक संतों का अपना प्रभाव है और उनके आभामंडल के अनुसार ही उनका सामाजिक दायरा भी है। इसी दायरे से आर्थिक समृद्धि एवं भौतिक विकास भी है। आर्थिक समृद्धि का प्रदर्शन चाहे अनचाहे झूलन महोत्सव में दिखाई पड़ता है। कहीं मंदिरों में भगवान के लिए रजत हिंडोला है तो कहीं पर काठ के झूले हैं। फिर भी संतों की उत्सवधर्मिता बराबर है। सभी अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं। यही कारण है कि बड़े मंदिरों में उत्सव हरियाली तीज से शुरू हो गया तो छोटे-छोटे मंदिरों में एकादशी से उत्सव का श्रीगणेश होगा। रामकोट स्थित रंगमहल व गोलाघाट स्थित सदगुरू सदन बाकी सबसे अलग है, जहां गुरुपूर्णिमा से ही उत्सव चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रामजन्मभूमि में शुरू हुआ उत्सव
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला सावन में झूले पर बैठते जरूर थे लेकिन यह परम्परा के निर्वहन तक ही सीमित था जिसके कारण उत्सव जैसा माहौल नहीं रहा। छह दिसम्बर 92 की घटना के बाद तो रामलला संगीनों के साए में इस तरह घिरे कि परम्पराएं अदालती आदेश की मोहताज हो गयीं। खैर नौ नवम्बर 2019 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्मुक्त वातावरण में पहली बार 2021 में सावन झूला महोत्सव मनाया गया। इस साल इस उत्सव का श्रीगणेश मंगलवार को होगा जब विराजमान रामलला को रजत झूले पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। इसी तरह विअहुति भवन में भी पंचमी के पर्व पर श्रीसीताराम भगवान का विवाहोत्सव मनाने के बाद युगल सरकार को झूलन में प्रतिष्ठित कर उत्सव का शुभारम्भ होगा।


Tags:    

Similar News

-->