राज्य ने इस कानून को विधानमंडल से खत्म कराने की कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया है। इसके बाद पुराने लाइसेंस का रिन्यूअल व नया जारी करने पर रोक लग जाएगी।
झारखंड के बाद अब यूपी ने साहूकारी कानून को समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य ने इस कानून को विधानमंडल से खत्म कराने की कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया है। इसके बाद पुराने लाइसेंस का रिन्यूअल व नया जारी करने पर रोक लग जाएगी। इस फैसले से गरीब तबके के लोगों को साहूकारों के शोषण से निजात मिल सकेगी। केंद्र की एक बैठक में शामिल होने आए राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी साहूकारी कानून की प्रासंगिकता को लेकर कुछ सुझाव दिए थे।
हालांकि, राज्य का वित्त महकमा इस कानून को बनाए रखने को लेकर बल दे रहा था। इस बीच, सीएम के निर्देश पर 24 जून को राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें पाया गया कि वर्तमान परिस्थितियों में यह कानून अप्रासंगिक हो गया है। ऐसे में इसे समाप्त करने पर सहमति बन गई। अब इसे राज्य कैबिनेट की अनुमति से विधानमंडल से पारित कराने की कार्यवाही कराई जाएगी।
उत्तर प्रदेश साहूकार अधिनियम, 1976 की घोषणा के समय बैंकिंग सेवाओं तथा ऑनलाइन बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का लाभ दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों व आम जनता के लिए सर्वसुलभ नहीं था। अब सरकारी बैंकों, गैर-सरकारी बैंकों और अन्य वित्तीय कंपनियों द्वारा साहूकारों की अपेक्षा काफी कम ब्याज दरों पर आम जनता को गोल्ड लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, वाहन लोन और अन्य प्रकार के लोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
साहूकार उठाते हैं मजबूरी का फायदा
साहूकार का लाइसेंस ज्यादातर सुनार द्वारा प्राप्त किया जाता है, जो उच्च ब्याज दरों (18 प्रतिशत से 36 प्रतिशत) पर सोने के गहनों के कुल मूल्य का 50 प्रतिशत तक ऋण देते हैं। दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक ने विभिन्न बैंकों और विभिन्न वित्तीय संस्थानों को सोने के मूल्य का 90 प्रतिशत तक ऋण देने की व्यवस्था की है।