दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा कुलपति व प्राक्टर की जमकर पिटाई की गई है। कई दिनों से धरने पर बैठे एबीवीपी के कार्यकर्ताओं का गुस्सा शुक्रवार दोपहर बाद फूट पड़ा। कुलपति कक्ष में तोड़फोड़ की और दरवाजा उखाड़कर फेंक दिया। सुबह से एबीवीपी कार्यकर्ता गेट पर प्रदर्शन कर रहे थे। दोपहर बाद तक कुलपति का इंतजार कर रहे थे, लेकिन तीन बजे तक कुलपति बाहर नहीं निकले। जिसके बाद कार्यकर्ता कुलपति कक्ष में पहुंच गए। पुलिस अपनी सुरक्षा में कुलपति को बाहर निकाल रही थी कि कार्यकर्ताओं ने हमला बोल दिया। इस घटना के दौरान और उसके बाद खौफ का मंजर दिखा। प्रशासनिक भवन के कर्मचारी काफी देर तक सिर्फ हालात को भांपते रहे। इस दौरान वे किनारे खड़े रहे। शाम करीब साढ़े चार बजे प्रशासनिक भवन परिसर पूरी तरह छात्रों से खाली हो जाने के बाद वे नीचे आए।
जब कुलपति की गाड़ी के बोनट पर दूसरी मंजिल पर स्थित कुलपति कार्यालय की छत से गमला फेंका गया तो तेज आवाज गूंज उठी। ग्राउंड और प्रथम तल पर कार्य करने वाले कई कर्मचारी बाहर के हालात देखने की कोशिश करते रहे। बाहर निकलने में इसलिए डर रहे थे कि कहीं उनके ऊपर भी कोई छत से कुछ न फेंक दे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के छह वर्ष के कार्यकाल में गोरखपुर देश मे शिक्षा हब के रूप में उभरे गोरखपुर की छवि पर इस घटना से बड़ा धब्बा लगा है। डीडीयू से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस घटना की बाबत देश के विभिन्न हिस्सों से फोन आ रहे हैं। राष्ट्रीय मीडिया में भी यह खबर सुर्खियों में है। बता दें कि डीडीयू को इसी वर्ष जनवरी में नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड मिला था। यही नहीं 3.78 प्रतिशत ग्रेड के साथ डीडीयू देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार हुआ था। इससे शिक्षा को लेकर गोरखपुर की छवि राष्ट्रीय फलक पर चमकी थी। उससे पहले मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को पिछले वर्ष नैक मूल्यांकन में ए ग्रेड मिला था।
गोरखपुर को शिक्षा हब बनाने के क्रम में एम्स, आयुष विश्वविद्यालय समेत कई बड़े संस्थानों का अहम योगदान रहा। देश भर के टॉपर्स छात्रों का रुझान अब गोरखपुर को लेकर बदला है। नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड के बाद भी डीडीयू में समस्याओं का अंबार लगा हुआ था। प्रवेश, परीक्षा और परिणाम को लेकर विश्वविद्यालय से लेकर कॉलेजों तक छात्र दो साल से चक्कर काटते दिख रहे हैं। छात्रावासों और परिसर में पेयजल संकट समेत कई छोटी-छोटी समस्याएं ऐसी थीं, जिनका समाधान करने में लंबा वक्त लग गया। कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनका समाधान जल्दी होता नहीं दिख रहा है। इसे लेकर छात्र संगठन लगातार आवाज उठा रहे थे। अंतत: वह हो गया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।