Sitapurसीतापुर: पुलिस अभिरक्षा में युवक द्वारा फांसी लगाये जाने के मामले में आरोपी तीन आरक्षियों को SC/ST कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मो. शफीक ने दोषी करार देते हुए तीनों आरक्षियों को 10-10 साल की सजा के साथ 21-21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वर्ष 2003 जुलाई के मामले में कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद दो रिटायर हो चुके सिपाहियों सहित एक तैनात आरक्षी को जेल भेजा है। मामले में सुनवाई के दौरान तीनों आरक्षी जमानत पर बाहर चल रहे थे।
गुंडा एक्ट के एक Warrant में मृतक को तीनों ने कमरे में किया था बंद
7 जुलाई वर्ष 2003 को रामकोट थाना इलाके के ग्राम मोहद्दीनपुरनिवासी मृतक डालचंद्र (25) न्यायालय में अपने ऊपर चल रहे एक मुकदमे की पैरवी कर वापस घर जा रहा था। रास्ते में करीब 4 बजे कचनार चौकी पर तैनात आरक्षी केशरीनंदन पटेल और आरक्षी सुरेश ने हिरासत में लेकर उसे चौकी कचनार ले गये। चौकी पर उसे गुंडा एक्ट के एक वारंट में कमरे में बंद कर दिया गया था। जहां शाम 5 बजे मृतक डालचंद्र ने कुंडे से लटक कर पुलिस अभिरक्षा में आत्महत्या कर ली। आरोपी की पुलिस अभिरक्षा में मौत के बाद POLICEने मृतक के भाई मैना की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर मामले की तफ्तीश शुरू की गई। न्यायालय तीनों आरोपियों को जमानत पर रखकर मामले की सुनवाई कर रहा था।
दो आरक्षी सेवानिवृत एक POSTED
युवक की मौत मामले में बाद तीनों आरक्षियों का अलग-अलग जनपदों में तबादला हो गया था। इन आरक्षियों में आरक्षीसुरेश सिंह और आरक्षीसियाराम यादव पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि आरक्षी केसरी नंदन पटेल मौजूदा समय में जनपद bahraich के कैसरगंज थाने में तैनात थे।