शहर के निजी स्कूलों में फीस वृद्धि हो लेकर चल रहे हंगामे के बीच आया नया मोड़
मिशनरी स्कूलों ने गार्डों से भिजवाया जवाब
आगरा: निजी स्कूलों में फीस वृद्धि हो लेकर शहर में चल रहे हंगामे के बीच अब नया मोड़ आया है. जिला बेसिक शिक्षाधिकारी (बीएसए) जितेंद्र कुमार गोंड द्वारा लगाई गई सुनवाई में पांचों स्कूल से एक भी प्रिंसिपल या प्रबंधक नहीं पहुंचा है. बीएसए दिन भर इनका इंतजार करते रहे. स्कूल संचालकों ने सुरक्षा गार्ड से बीएसए कार्यालय में लिखित पत्र भिजवा दिए हैं. इन पत्रों में एक लाइन में उत्तर लिखकर भेजा गया है. पत्र देकर विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी सन्न रह गए हैं. बीएसए की ओर से स्कूलों को नोटिस दिया जा रहा है.
विगत 8 को प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स अवेयरनेस (पापा) संस्था ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) से लिखित शिकायत की थी. इसमें उन्होंने वजीरपुरा रोड स्थित सेंट पीटर्स कॉलेज, सेंट पैट्रिक जूनियर कॉलेज, सेंट फेलिक्स नर्सरी स्कूल, सेंट फ्रांसिस कान्वेंट स्कूल सहित सेंट कॉनरेड्स ट्रांसपोर्ट नगर की शिकायत की थी. आरोप थे कि इन स्कूल में शिक्षण शुल्क में से 30 फीसदी की वृद्धि की है. पसंदीदा प्रकाशन की महंगी किताबें लगाकर अभिभावकों को खरीदने को बाध्य किया जा रहा है. उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश के बाद भी विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों का प्रतिशत शुल्क समायोजित नहीं किया है. विगत को सेंट कॉनरेट्स पर हंगामा भी हुआ था. शिकायत पर सुनवाई के लिए बीएसए ने अपने कार्यालय में सुनवाई लगाई थी. इसमें स्कूल के प्रिंसिपल या प्रबंधक को उपस्थित होकर चार बिंदुओं पर साक्ष्य सहित अपना लिखित अभिकथन देना था. लेकिन, उनके कार्यालय में कोई प्रिंसिपल या प्रबंधक नहीं आए. सेंट पीटर्स कॉलेज का एक बाबू कार्यालय पहुंचा था. उन्होंने कुछ रिकार्ड दिए हैं, जिनका परीक्षण किया जाएगा. सेंट पैट्रिक से दो शिक्षक पहुंचे थे. उन्होंने लिखित में कुछ न देकर प्रिंसिपल के बाहर होने का हवाला दिया था. वहीं, सेंट फेलिक्स नर्सरी स्कूल से एक सुरक्षा गार्ड पत्र लेकर आया. इस पत्र में एक लाइन में लिखा हुआ था कि ‘मैं आपके समक्ष उपस्थित हूं’. वहीं सेंट फ्रांसिस का पत्र डाक से मिला. इस पत्र में भी लिखा था कि ‘मैं आपके समक्ष उपस्थित हूं. अभिभावकों की शिकायत साक्ष्य सहित उपलब्ध कराएं.’ वहीं, सेंट कॉनरेड्स का पत्र भी डाक में प्राप्त हुआ. इस पत्र में लिखा था कि प्रबंध समिति बाहर है. उन्होंने 10 से दिन का समय मांगा है. इस पत्र पर प्रिंसिपल के हस्ताक्षर तक नहीं थे.
● विद्यालय का गत शैक्षिक सत्र 23-24 में कक्षावार निर्धारित शुल्क (फीस) का विवरण एवं शैक्षिक सत्र वर्ष 24-25 में कक्षावार निर्धारित शुल्क (फीस) का विवरण.
● विद्यालय का गत शैक्षिक सत्र 23-24 में कक्षावार निर्धारित पाठ्यक्रम (प्रकाशन सहित) का विवरण एवं शैक्षिक सत्र वर्ष 24-25 में कक्षावार निर्धारित पाठ्यक्रम (प्रकाशन सहित) का विवरण. क्या विद्यालयों द्वारा अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से किताब खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है अथवा नहीं.
● विद्यालय की एडमिशन शुल्क अथवा रजिस्ट्रेशन शुल्क की नीति.
● विद्यालय प्रबंध तंत्र के द्वारा कोरोना काल की प्रतिशत फीस वापस/समायोजित किए जाने की निर्धारित प्रारूप पर साक्ष्यों सहित सूचना.
सभी स्कूलों की स्थिति सामान्य, यहां हंगामा क्यों...
स्कूलों में फीस वृद्धि, कक्षावार निर्धारित पाठ्यक्रम, निर्धारित दुकानों से खरीद, एडमिशन शुल्क व रजिस्ट्रेशन शुल्क की स्थिति शहर के छोटे से लेकर सभी बड़े-बड़े स्कूलों की सामान्य है. इधर, शहर के नामी स्कूलों में तो रजिस्ट्रेशन के नाम पर ही अभिभावकों से हजारों रुपये लिए गए हैं. इन स्कूलों में नर्सरी के बच्चे की वार्षिक फीस सुनकर आंखें खुली की खुली रह जाती हैं. कक्षावार निर्धारित पाठ्यक्रम के लिए प्रकाशन से सेट कमीशन एक आम आदमी की सोच से परे है. बड़ी बिल्डिंग दिखाकर अभिभावकों की जेब काटी जा रही है. लेकिन, इन स्कूलों की शिकायत, अभिभावकों की पीड़ा, फीस वृद्धि और यूनिफार्म की दरों को लेकर कोई हंगामा नहीं हो रहा है. जबकि, आरटीई के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों के प्रवेश भी ये विद्यालय नहीं ले रहे हैं.