150 परिवार, 15 वर्षों से बिल्वहरिघाट बंधे पर शरण लिए हुए हैं

Update: 2022-09-24 18:29 GMT

वर्ष 2008 में आई बाढ़ की विभीषिका की चपेट में आकर विस्थापित हुए परिवारों को आज तक ठौर – ठिकाना नहीं मिल सका है। तीन विधानसभा चुनाव आए-गए, लेकिन इन विस्थापितों के केवल पुनर्वास का आश्वासन ही मिला। इनका दर्द अब आंसू बन कर आंखों से छलक पड़ता है।

यह बाढ़ पीड़ित सरयू नदी में आई बाढ़ में अपना सब कुछ गंवा कर 15 वर्षों से बिल्वहरिघाट बंधे पर शरण लिए हुए हैं। बाढ़ पीड़ित 150 परिवार खुले आसमान के नीचे पल्ली तानकर जीवन यापन कर रहे हैं। इन बाढ़ पीड़ितों से जब इनके दर्द के बारे में पूछा जाता है तो इनके आंखों में आंसू आ जाते हैं। 2008 आई भीषण बाढ़ में मूड़ाडीहा मांझा के सलेमपुर, पूरे चेतन, पिपरी संग्राम उरदहवा गांव के तमाम रहने वाले अपना सबकुछ गंवा कर दशरथ समाधि अयोध्या को जाने वाले तटबंध पर शरण लिए हुए हैं।

75 वर्षीय राजपति निषाद ंने कहा कि 15 साल इसी बंधे पर बीतने जा रहे हैं। बाढ़ के दौरान बड़े-बड़े अधिकारी और चुनाव के दौरान नेता आते हैं हाल पूछ कर चले जाते हैं। किसी ने समस्या का समाधान नहीं किया। गांव का घर नदी में समा गया। 10 आदमी का परिवार है और पांच जानवर हैं। बाढ़ पीड़ित सीतापति निषाद, संगीता निषाद ,अंजनी ,इंद्रावती निषाद , गौरा निषाद, मीना निषाद , शीला निषाद , मंजू निषाद , मनीषा निषाद , कविता निषाद , सावित्री निषाद गुड़िया निषाद कहतीं है कि कोई हमारी समस्या की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। 15 वर्षों में तीन प्रधानी के चुनाव लेकिन किसी ने भी कुछ नहीं किया।

जिम्मेदारों के हैं अपने-अपने बोल

वहीं मूड़ाडीहा मांझा के प्रधान गया प्रसाद यादव ने बताया कि तहसील प्रशासन से मांग की गई है कि बंधे पर रह रहे बाढ़ पीड़ितों को उपरहार में घर बनाने के लिए जमीन दिया जाए। लेखपाल मूडाडीहा माझा सौरभ पांडे ने बताया कि बंधे पर रह रहे डेढ़ सौ परिवार में कुछ लोगों को मूड़ाडीहा मांझा में घर बनाने के लिए जमीन पट्टे पर मिली है। बाकी लोगों को भी घर के लिए जमीन देने की तैयारी है। जल्द ही मकान बनाने के लिए जमीन मिल जाएगी।

वर्जन…

बंधे पर इतने दिनों से बाढ़ पीड़ित किन परिस्थितियों में रह रहे हैं यह गंभीर बात है। इसका सत्यापन कराया जाएगा। यदि उनके पास मकान बनाने की जमीन नहीं है तो व्यवस्था कराई जाएगी।

राजकुमार पांडेय, तहसीलदार, अयोध्या सदर तहसील

न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar

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