काशी/वाराणसी/बनारस | जिले के मैदागिन में स्थित पराड़कर स्मृति भवन में 10 जनवरी, शुक्रवार को सीवान (बिहार) की संस्था प्रान्ति इंडिया एण्ड कम्पनी का वार्षिकोत्सव 2025 कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर सम्मानित-पुरस्कृत होनेवाले सैकड़ों साहित्यकारों हेतु आवास और भोजन की व्यवस्था 9 जनवरी से 11 जनवरी तक आसपास के होटलों और गेस्ट हाउस में कराई गई थी। गौरतलब है कि कार्यक्रम में मंचस्थ संयोजक श्री ए. के. प्रसाद,अध्यक्ष डॉ काशिका श्रीवास्तव, मुख्य अतिथि डॉ लेखराज शर्मा, विशिष्ट अतिथि डॉ राम कुमार झा, विशेष अतिथि श्री रवि ऋषि तथा मार्गदर्शक श्री प्रदीप प्रसाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस वार्षिकोत्सव में राष्ट्रीय सम्मान समारोह के दौरान प्रतिमा यादव "पंखुड़ी" उत्तर प्रदेश, सौरभ भारद्वाज मध्य प्रदेश, प्रेम प्रकाश बिहार, डॉ सुपर्णा मुखर्जी तेलंगाना, अरुण विष्णु गोडे महाराष्ट्र, डॉ ए के बिंदु केरल, डॉ अनिता पी एल केरल, डॉ के जयलक्ष्मी तमिलनाडु, डॉ प्रदीप कुमार सुरेश कळसकर, महाराष्ट्र, डॉ शंभु दयाल अग्रवाल ओड़िशा, एड देवेंद्र घनश्यामजी चौधरी महाराष्ट्र, डॉ गुरुदत्त गिरिधर सिंग राजपूत महाराष्ट्र, शिवण्णा मल्लप्पा हदिमुर कर्नाटक, डॉ राजीव कुमार सिसोदिया 'प्रज्ञेय' उत्तरप्रदेश, हरीराम कहार मध्यप्रदेश, दीपा गेरा उत्तर प्रदेश, रौली कुमारी बिहार, मीरा जैन मध्यप्रदेश, डॉ पल्लवी मिश्रा 'शिखा' दिल्ली, डॉ अखिलेश कुमार शास्त्री उत्तरप्रदेश,
ज्योति श्रीवास्तव मध्यप्रदेश, श्रीप्रकाश सिंह अरुणाचल प्रदेश, रूपा सिंह राजस्थान, डॉ सुमन आनन्द उत्तर प्रदेश, डॉ मीनकेतन प्रधान छत्तीसगढ़, अवधेश कुमार सक्सेना मध्यप्रदेश, अंकिता दिल्ली, आशुतोष दिल्ली, सुषमा झा झारखंड, इंद्रजीत दूबे गुजरात, अरुणा अग्रवाल छत्तीसगढ़, कमला उनियाल उत्तराखण्ड, सुन्नी सिंह महाराष्ट्र, प्रियंका गोयल दिल्ली, डॉ नीलम 'बावरा मन' दिल्ली, डॉ अभिषेक कुमार बिहार, अरुणप्रिय उत्तर प्रदेश, अच्युत उमर्जी महाराष्ट्र, डॉ वीरेन्द्र कुमार दूबे मध्यप्रदेश, डॉ अखिलेश कुमार उत्तरप्रदेश, संत कुमार शर्मा दिल्ली, सुभाष चन्द्रा उत्तर प्रदेश, इला कुमारी बिहार, डॉ अजब सिंह राजस्थान, भोला सागर झारखण्ड, डॉ शाम्भवी शुक्ला मिश्रा मध्यप्रदेश, कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' बिहार, वृन्दावन राय सरल मध्यप्रदेश, डॉ गुलाबचंद पटेल गुजरात, मुकेश कुमार दुबे 'दुर्लभ' बिहार, डॉ प्रेमलता यदु छत्तीसगढ़, ज्योति जैन 'ज्योति' पश्चिम बंगाल, भगवती बिहानी राजस्थान, डॉ आरती लोकेश दुबई, निमिषा सिंघल उत्तर प्रदेश, शशिधर कुमार बिहार, अनिता बिहार, मनोज कुमार झा 'मनु' झारखण्ड, मुकेश जोशी 'भारद्वाज' उत्तराखंड, निकिता सुमन झारखंड, डॉ राजलक्ष्मी शिवहरे मध्यप्रदेश, डॉ शीला शर्मा छत्तीसगढ़, डॉ ब्रह्मदेव कुमार झारखंड,
डॉ प्रभा मारोतीराव गायकवाड महाराष्ट्र, डॉ सरिता चौहान उत्तर प्रदेश, नीरज वर्मा झारखंड, पूनम लता झारखंड, डॉ गायत्री कोंपल 'चन्नाया' राजस्थान, डॉ किरण कुमारी झारखंड, अभिलाषा अग्रवाल 'आशाएं' उत्तर प्रदेश, विवेक रंजन 'विवेक' मध्यप्रदेश, अपूर्व 'आकर्षक' कर्नाटक, सत्यम तिवारी 'बनारसी' उत्तर प्रदेश, मंजू जाखड़ हरियाणा, प्राची तिवारी 'छबि' मध्यप्रदेश, प्रफुल्ल कुमार पटनायक छत्तीसगढ़, प्रो. पंढरीनाथ पाटील 'शिवांश' महाराष्ट्र, प्रमोद झा उत्तर प्रदेश, डॉ हरिवंश शर्मा उत्तरप्रदेश, गौतम आनन्द बिहार, मनोरमा शर्मा 'मनु' तेलंगाना, नरेंद्र भूषण उत्तरप्रदेश, नीरज सिंह उत्तराखंड, कृष्ण कुमार कौशिक दिल्ली, लक्ष्मी अग्रवाल उत्तर प्रदेश, रमेश कुमार दीक्षित उत्तर प्रदेश, रमाशंकर चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश, डॉ आदर्श प्रकाश जम्मू कश्मीर, आशा झा छत्तीसगढ़, रश्मि रामेश्वर गुप्ता छत्तीसगढ़, मांगन मिश्र 'मार्त्तण्ड' बिहार, डॉ अनिता सिंह छत्तीसगढ़, डॉ अनिता जठार महाराष्ट्र, अनिता आचार्य महाराष्ट्र, रतनलाल मैनारिया 'नीर' राजस्थान, नेहा चौरसिया असम, भोला शरण प्रसाद, उत्तर प्रदेश, दिनेश चंद्र जोशी उत्तराखंड, नित्ति शर्मा हरियाणा, डॉ संतोष सुभाषराव कुलकर्णी महाराष्ट्र, डॉ. राजेश भामरे महाराष्ट्र, वंदना मोदी गोयल हरियाणा, डॉ. नीलम हेमंत वीरानी महाराष्ट्र, अलीशा शेख छत्तीसगढ़, संवर्त कुमार 'रूप' छत्तीसगढ़, डॉ. अनु शर्मा दिल्ली, डॉ. कारुलाल जमडा ' कारुण्य' मध्यप्रदेश, धनंजय द्विवेदी 'फकीर' छत्तीसगढ़, डॉ. श्रीलेखा के. एन. केरल, सुनील शर्मा उत्तरप्रदेश, हेमा जोशी 'हिमाद्रि' उत्तराखंड, डॉ राम कुमार झा 'निकुंज' दिल्ली, विनोद प्रसाद बिहार तथा आर्य भाषा पुस्तकालय नागरी प्रचारिणी सभा के पुस्तकालयाध्यक्ष आरुणि चंद्र सिंह व प्रसिद्ध हास्य कवि दमदार बनारसी को प्रान्ति इंडिया साहित्य सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया।
वहीं, प्रान्ति इंडिया पुरस्कार 2025 हेतु प्राप्त प्रविष्टियों के आधार पर चयनित 51 कृतियों में उत्तर प्रदेश से नरेंद्र भूषण की गीत संग्रह इन्द्रधनुष कैसे उगे, उत्तर प्रदेश से रमेश दीक्षित ऋषांक की गीत संग्रह धरोहर खण्ड 2, जम्मू कश्मीर से डॉ आदर्श प्रकाश की कहानी संग्रह रेड वुड जंगल, बिहार से मांगन मिश्र 'मार्त्तण्ड' की यात्रा साहित्य शिखरों की छाँव में, दुबई से डॉ आरती लोकेश की उपन्यास रोशनी का पहरा, दिल्ली से डॉ पल्लवी मिश्रा 'शिखा' की कविता संग्रह इंद्रधनुष, झारखंड से मनोज कुमार झा 'मनु' की काव्य संग्रह प्रांजलि, पंजाब से डॉ लेखराज की कहानी संग्रह नई सुबह की तलाश, बिहार से आशुतोष की पुस्तक वकील साहब, बिहार से डॉ अभिषेक कुमार की कविता संग्रह फूल मुस्कुराते हैं, दिल्ली से डॉ नीलम 'बावरा मन' की काव्य संग्रह उलझी राहें, छत्तीसगढ़ से डॉ प्रेमलता यदु की कहानी संग्रह रंगोली रिश्तों की, उत्तर प्रदेश से निमिषा सिंघल की काव्य संग्रह एक स्वप्न चुरा कर लाना तुम, उत्तर प्रदेश से लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी संग्रह अधूरा सफर, उत्तर प्रदेश से प्रतिमा यादव की काव्य संग्रह पंखुड़ियाँ, बिहार से मुकेश कुमार दुबे 'दुर्लभ' की काव्य संग्रह मुरझाए पुष्प, बिहार से कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' की काव्य संग्रह काव्य कुमकुम, पश्चिम बंगाल से ज्योति जैन 'ज्योति' की दोहा संग्रह धूप-छांव सी ज़िन्दगी, तेलंगाना से मनोरमा शर्मा 'मनु' की काव्य संग्रह जीवन के उस पार, उत्तर प्रदेश से रेशमा त्रिपाठी की काव्य संग्रह उत्पल, उत्तर प्रदेश से प्रमोद झा की काव्य संग्रह शब्दबाण कविताएं, गुजरात से डॉ गुलाबचंद पटेल की शोध पुस्तक वैश्विक परिपेक्ष्य में गांधीजी, बिहार से गौतम आनन्द की पुस्तक तुम अजनबी ही रहती, उत्तर प्रदेश से बृंदावन राय 'सरल' की ग़ज़ल संग्रह गजलों का गुलशन, राजस्थान से भगवती बिहानी की लघु उपन्यास शालीनता भरी बहू शीतल, उत्तर प्रदेश से पं. रमाशंकर चतुर्वेदी 'आनन्द' की एक संकलन उरबतियाँ, छत्तीसगढ़ से डॉ शीला शर्मा की लेख संग्रह जीवन पथ पर बढ़ते चलो, उत्तर प्रदेश से डॉ महेन्द्र नाथ तिवारी 'अलंकार' की गीत संग्रह गीत रसाल, छत्तीसगढ़ से रश्मि रामेश्वर गुप्ता की कहानी संग्रह माँ,
राजस्थान से रतनलाल मैनारिया 'नीर' की कहानी संग्रह गाँव की गलियों से शहर तक, मध्य प्रदेश से विवेक रंजन 'विवेक' की उपन्यास अभियान, मध्य प्रदेश से मीरा जैन की लेख संग्रह दीन बनाता है दिखावा, उत्तर प्रदेश से सुभाष चन्द्रा की काव्य संग्रह कुकुरमुत्ते, हरियाणा से डॉ जोगेन्द्र कुमार की काव्य संग्रह अनुपमा, बिहार से शशि धर कुमार की काव्य संग्रह रजनीगन्धा, हरियाणा से मंजू जाखड़ की काव्य संग्रह काश! तुम मिल जाते, मध्य प्रदेश से हरीराम कहार की बाल उपन्यास चीखता महल, छत्तीसगढ़ से डॉ अनिता सिंह की उपन्यास स्वीकरण, मध्य प्रदेश से विवेक रंजन 'विवेक' की उपन्यास गुलमोहर की छांव, मध्य प्रदेश से विवेक रंजन 'विवेक' की कविता संग्रह मैं सपन के सुमन चुनता, मध्य प्रदेश से विवेक रंजन 'विवेक' की उपन्यास नील नदी के काले साये, मध्य प्रदेश से विवेक रंजन 'विवेक' की उपन्यास लवलीन, महाराष्ट्र से अरुण विष्णु गोडे की लेख संग्रह वर्षा, उत्तराखंड से हेमा जोशी 'हिमाद्रि' की काव्य संग्रह हिमालय आखर, दुबई से डॉ आरती लोकेश की लघुकथा संग्रह दूर्वादल, दुबई से डॉ आरती लोकेश की काव्य संग्रह प्रीत बसेरा, हरियाणा से मंजू जाखड़ की शायरी संग्रह रूह का रिश्ता, बिहार से डॉ अभिषेक कुमार की काव्य संग्रह रस्सा खेल, मध्य प्रदेश से मीरा जैन की लघुकथा संग्रह मीरा जैन की सदाबहार लघुकथाएं, मध्य प्रदेश से डॉ कारुलाल जमडा 'कारूण्य' की पुस्तक तुझे सब है पता मेरी माँ तथा झारखंड से डॉ ब्रह्मदेव कुमार की शोध पुस्तक डॉ अमरेन्द्र के काव्य में समकालीन यथार्थ को चांदी का सिक्का देकर पुरस्कृत किया गया। गौरतलब है कि हिन्दी साहित्य की दुनिया में साहित्यकारों का योगदान अतुलनीय है।
उनकी लेखनी से हमें नई दिशा मिलती है, नई सोच मिलती है और हमारी संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद मिलती है। लेकिन आजकल, साहित्यकारों को उनके योगदान के अनुसार सम्मान नहीं मिलता। इसी कारण से, हमारी प्रान्ति इंडिया की टीम ने साहित्य के क्षेत्र में अच्छा करने वाले साहित्यकारों को प्रान्ति इंडिया वार्षिकोत्सव 2025 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया। इस सम्मान से साहित्यकारों को न केवल उनके कार्य की मान्यता मिली, बल्कि इससे वे और भी अधिक उत्साहित हुए और साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य के लिए अपनी लेखनी जारी रखने की बात कही। इस वार्षिकोत्सव में साहित्यकारों को सम्मानित करने से हमारी संस्कृति और भाषा को भी मजबूती मिली। इस कार्यक्रम के संयोजक श्री ए. के. प्रसाद ने बताया कि साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिए केवल पैसों की जरूरत नहीं है। मजबूत इच्छा शक्ति और समर्थन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। किसी भी कार्य को करने के लिए पैसों से कई गुना बढ़कर मजबूत इच्छा शक्ति कार्य करती है। यदि हम साहित्यकारों को सच्चे दिल से समर्थन दें और उनके कार्य की मान्यता दें, तो वे और भी अधिक अच्छा कार्य कर सकेंगे। आजकल, साहित्य के क्षेत्र में कई साहित्यकार अपनी लेखनी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें अपने कार्य के लिए समर्थन और मान्यता नहीं मिल पाती। इससे वे निराश हो जाते हैं और अपनी लेखनी बंद कर देते हैं। लेकिन यदि हम उन्हें समर्थन दें और उनके कार्य की मान्यता दें, तो वे और भी अधिक अच्छा कार्य कर सकेंगे।