मानिकपुर खदान की सुरक्षा त्रिपुरा स्टेट राइफल के हाथों में आई
त्रिपुरा स्टेट राइफल
मानिकपुर खदान से कोयला, डीजल, केबल एवं मशीनों की कलपुर्जो की चोरी की लगातार हो रही है। इसके चलते अब इस खदान की जिम्मेदारी त्रिपुरा स्टेट राइफल को दी गई है। यहां पर स्थिति इतनी गंभीर है कि चोरों का गिरोह कंपनी की विभागीय सिक्योरिटी से नहीं डरता है। इतना ही नहीं बल्कि चोर मौका पाकर धमकी और पत्थरबाजी भी करते हैं। इससे कंपनी का स्थानीय प्रबंधन परेशान है। प्रबंधन ने खदान से होने वाली कोयला, डीजल और कबाड़ की चोरी को रोकने के लिए त्रिपुरा राइफल के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत मानिकपुर खदान की सुरक्षा में 60 जवानों को तैनात किया गया है। कंपनी की ओर से बताया गया है कि बारुद घर को छोड़कर खदान के भीतर अन्य पोस्ट पर जवानों की तैनाती की जाएगी। इससे गैर काूननी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकेगी।
इतना ही नहीं बल्कि कोरबा के सेंट्रल स्टोर और सरायपाली में भी तैनाती की योजना कंपनी ने बनाई गई है। अब त्रिपुरा राइफल की एक और कंपनी खदान क्षेत्रों में तैनात की जाएगी। इसके पहले त्रिपुरा स्टेट राइफल की एक कंपनी एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा में तैनात की गई है। वर्तमान में कुसमुंडा खदान में बरकुटा फेस के आसपास त्रिपुरा स्टेट राइफल के जवान खदान की सुरक्षा संभाल रहे हैं। जवानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती एसईसीएल की संपति को सुरक्षित रखने की है। ताकि आर्थिक नुकसान से कंपनी को बचाया जा सके।
सुरक्षा के लिए एसईसीएल की ओर से केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को पहले से खदानों में तैनात किया गया है। एसईसीएल की कुसमुंडा, गेवरा और दीपका खदान में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल से तैनात है। सुरक्षा के बल जवान खदान की बेरियर, कांटाघर और फेस पर पहले से सुरक्षा संभाल रहे हैं। इन जवानों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कोयला खदानों से होने वाली डीजल, कबाड़ और मशीनो के पार्टस की चोरी रोकने की है।