शिवसेना सांसद का खुलासा महाराष्ट्र में 7.09 करोड़ में हथियाई,55 करोड़ की चीनी मिल

महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र में घोटाला करके नेता किस तरह अपनी जेबें भर रहे हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पेश किया है पांच बार की शिवसेना सांसद भावना गवली ने।

Update: 2022-01-04 18:26 GMT

महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र में घोटाला करके नेता किस तरह अपनी जेबें भर रहे हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पेश किया है पांच बार की शिवसेना सांसद भावना गवली ने। उन्होंने सहकारी क्षेत्र की अपनी ही चीनी मिल को दीवालिया घोषित कर उसे अपनी ही एक निजी कंपनी से खरीदवा लिया। यह सौदा करवाने के लिए जो बोर्ड गठित हुआ, उसकी अध्यक्ष भी वे खुद ही रहीं। जिस बैंक ने इस सौदे के लिए फंड मुहैया कराया, वह बैंक भी खुद उन्हीं का है। ये तथ्य प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तैयार एक आरोपपत्र में सामने आए हैं।

सांसद भावना गवली के खिलाफ ईडी की चार्जशीट से भाजपा के आरोपों को मिला दम
इस मामले की एफआइआर भी खुद भावना गवली की तरफ से दर्ज कराई गई थी। पिछले साल अगस्त में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यवतमाल-वाशिम क्षेत्र से शिवसेना सांसद भावना गवली के पांच ठिकानों पर छापेमारी की थी। उन पर यह छापेमारी भाजपा नेता किरीट सोमैया के इस आरोप के बाद हुई थी कि भावना ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से 100 करोड़ रुपये लेकर उनका गलत इस्तेमाल किया।
किरीट का आरोप था कि भावना गवली ने 55 करोड़ रुपये की एक सहकारी चीनी बहुत काम दाम पर खरीद ली। बता दें कि श्री बालाजी सहकारी पार्टिकल कारखाना लि. की स्थापना भावना गवली के पिता पुंडलीकराव गवली ने 1992 में की थी। इस कारखाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय सहकार महामंडल से 29 करोड़ रुपए और राज्य सरकार से 14 करोड़ रुपए अनुदान लिया था।
सहकारिता के नाम पर मची लूट-खसोट
भाजपा नेता किरीट सोमैया का आरोप है कि भावना गवली ने इस कंपनी के लिए 11 करोड़ रुपये स्टेट बैंक से भी लिए। कुल 55 करोड़ रुपये जुटाने के बावजूद यह कंपनी चालू नहीं हो सकी। इस कंपनी को दीवालिया घोषित करने के लिए जो लिक्विडेशन बोर्ड बना, भावना गवली खुद उस बोर्ड की चेयरमैन भी बन गईं। इस बोर्ड ने कंपनी की नीलामी के लिए अखबारों में विज्ञापन की खानापूरी तो की लेकिन बोली लगाने का मौका दिया अपनी ही एक कंपनी भावना एग्रो प्रोडक्ट एंड सर्विसेज प्रा.लि. को।
लिक्विडेशन बोर्ड ने यह कंपनी मात्र 7.09 करोड़ में भावना गवली की कंपनी भावना एग्रो प्रोडक्ट एंड सर्विजेज प्रा.लि. को बेच दी। यानी जिस कंपनी को स्थापित करने के लिए 55 करोड़ रुपए अनुदान या रियायती दर पर कर्ज लिया गया, उसे आठ करोड़ से भी कम में बेच दिया गया।
उक्त मिल की 35 एकड़ जमीन भी भावना गवली के ही एक पारिवारिक ट्रस्ट महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान ट्रस्ट को सिर्फ आठ लाख में बेच दी गई। बाद में भावना गवली ने 11 सदस्यों वाले इस ट्रस्ट को भी एक निजी कंपनी में बदल दिया और उसके बोर्ड में अपनी मां शालिनी के अलावा एक सहयोगी सईद खान को शामिल कर लिया।
खास बात यह है कि इस मामले की जांच भी खुद भावना गवली द्वारा दर्ज कराई गई एक एफआइआर के बाद शुरू हुई थी। भावना ने एफआइआर में आरोप लगाया था कि महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान ट्रस्ट के निजी कंपनी में बदले जाने से पहले उसके एक कर्मचारी ने 18 करोड़ का घोटाला किया था। यह मामला ईडी के हाथ में आने के बाद अब पूरे प्रकरण में खुद भावना गवली भी फंसती दिखाई दे रही हैं।


Tags:    

Similar News