राजस्थान में पेट्रोल-डीज़ल पर वैट कम होगा

Update: 2023-07-20 12:48 GMT

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में आज प्रश्नकाल शुरू होते ही पेट्रोल-डीजल पर वैट वसूली का गरम मुद्दा उठा। उपनेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनिया के सवाल पर सरकार की ओर से सदन में कहा गया कि फिलहाल सरकार का पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने का कोई इरादा नहीं है. हालाँकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि इस संबंध में भविष्य में कोई उचित निर्णय राजस्व पर वैट के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आवश्यक होने पर ही लिया जाएगा।उपनेता प्रतिपक्ष पूनिया का सवाल डॉ. सतीश पूनिया ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वैट वसूली का सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि राजस्थान देश में पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा वैट चुका रहा है. राज्य के सीमावर्ती राज्यों में डीजल और पेट्रोल पर वैट की दर कम होने से सीमावर्ती जिलों गंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर और चूरू में डीजल और पेट्रोल की बिक्री लगातार कम हो रही है. उन्होंने सरकार से वैट संग्रहण से प्राप्त राजस्व का ब्योरा मांगा और भविष्य में वैट कम करने की मंशा भी जाननी चाही.

मंत्री धारीवाल का आया जवाब

मंत्री शांति धारीवाल ने दिया जवाब. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि सीमावर्ती राज्यों से वैट अधिक होने के कारण राज्य के सीमावर्ती जिलों में पेट्रोल और डीजल की बिक्री लगातार कम हो रही है. हालांकि, धारीवाल ने माना कि श्रीगंगानगर में बिक्री में गिरावट आई है और इसके कारण राजस्व में भी गिरावट आई है.

मंत्री धारीवाल ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न हैं. यहां एक जिले से दूसरे जिले तक परिवहन की लागत अधिक है. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से वैट की अधिकता परिवहन समेत कई कारणों पर निर्भर करती है. वैट की दर में कटौती का निर्णय सरकार ने उचित समय पर लिया है. जवाब में धारीवाल ने सीमावर्ती जिलों की राजस्व वृद्धि के आंकड़े भी गिनाए.

मंत्री धारीवाल ने यह भी कहा कि पेट्रोल डीजल की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जिसमें वैट भी एक कारक है. हर राज्य में डीजल-पेट्रोल की कीमतें डिपो से पेट्रोल पंप की दूरी के हिसाब से अलग-अलग होती हैं। इसलिए राज्यवार तुलना संभव नहीं है. विभाग द्वारा अन्य राज्यों की कीमतों का डेटा भी नहीं रखा जाता है.नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार बनने के बाद पेट्रोल-डीजल पर छह बार वैट बढ़ाया गया है. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को जीएसटी काउंसिल में लाने का वादा किया था, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ.

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