वैलेंटाइंस डे स्पेशल: राजस्थान का वो गांव जहां लगेगा प्यार करने वालों का मेला, कभी नहीं हुआ इन गांवों में झगड़ा

आज दुनिया भर में वैलेंटाइंस डे के मौके पर तमाम जोड़े साथ निभाने का वादा कर रहे हैं।

Update: 2022-02-14 06:19 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज दुनिया भर में वैलेंटाइंस डे के मौके पर तमाम जोड़े साथ निभाने का वादा कर रहे हैं। वहीं राजस्थान में एक जिला ऐसा है, जहां आज भी गांव को जोड़ों के रूप में जाना जाता है। यानी अगर एक गांव का नाम स्त्रीलिंग है तो इसी नाम के साथ दूसरे गांव का नाम पुलिंग है। राजस्थान के झालावाड़ जिले में आज भी 44 ग्राम को उनके जोड़ों के रूप में पहचाना जाता है। पढ़िए वैलेंटाइंस डे पर यह खास स्टोरी...

बड़े-बुजुर्गों ने बनाया गांव का जोड़ा
झालावाड़ जिले के कई इलाकों में बड़े बुजुर्गों का कहना है कि प्राचीन काल में जब एक बड़ा गांव बसता था तो उसको पुलिंग के नाम से पहचाना जाता था। ऐसे में उसी गांव के पास कोई छोटा गांव और आबाद होता तो बड़े बुजुर्गों ने दोनों गांव के लोगों में आपसी सौहार्द और भाई चारा बनाने के लिए उसे स्त्रीलिंग के नाम से पहचान दी। राजस्थान के झालावाड़ जिले के गांव के नामों में यही सौहार्द देखने को मिलता है। जिले की 8 पंचायत समितियों में 610 गांव हैं। इनमें से 44 गांव को जोड़ों के रूप में पहचाना जाता है
जोड़ों के रूप में बसे गांव कभी नहीं हुए जुदा
गांववालों का कहना है कि जिन गांव को जोड़ों के रूप में पहचाना जाता है उन गांव के लोगों के बीच ना तो कभी झगड़ा हुआ है और ना ही कोई मनमुटाव। सभी गांव के लोग एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। सुख-दुख में हमेशा साथ ही रहे हैं।
ऐसे हैं कुछ जोड़े
इन 44 गांवों में कई गांवों के नाम अजीबोगरीब भी है। देवर गांव के पास देवरी गांव बसा है। ऐसे ही बड़बेला के पास बड़बेली, धानोदा के पास धानोदी, भीलवाड़ा के पास भीलवाड़ी, पथरिया के पास पथरी, चाड़ा के पास चीड़ी, दोबड़ा के पास दोबड़ी जैसे कई गांव आज भी जोड़ों के रूप में पहचाने जाते हैं।
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