गंभीरी नदी पुलिया के बीम को कमजोर कर रहे पेड़-पौधे, नगर परिषद बेखबर

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Update: 2023-03-06 12:35 GMT
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ भले ही नगर परिषद नगरीय रोजगार योजना के नाम पर जल संरक्षण सहित विभिन्न कार्यों के दावे कर रही है, लेकिन नगर के मध्य स्थित गंभीरी नदी की ऐतिहासिक पुलिया के संरक्षण के प्रति उदासीन बनी हुई है. इस पुलिया की ऐतिहासिकता को देखते हुए राज्य पुरातत्व एवं विभाग ने भी इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है। स्थिति यह है कि पुलिया पर वर्षों से उग रहे पेड़-पौधे पुलिया में दरारें पैदा कर रहे हैं। गंभीरी नदी के अलावा कपासन मार्ग पर स्थित बेडच नदी पुलिया बदहाली का शिकार हो रही है। हालांकि नगर परिषद कई जगहों पर सफाई करवाती रहती है, लेकिन इन दोनों पुलियाओं की सफाई व सुरक्षा पर ध्यान नहीं देना लोगों के बीच चर्चा का विषय है। सबसे बुरा हाल गंभीरी नदी पुल का है। पुरानी पुलिया के नौ में से सात दरवाजों पर लगी लोहे की जालियों को देखकर नहीं लगता कि वर्षों से इनकी सफाई की गई है।
स्थिति यह है कि लोग पूजा या अन्य कोई सामग्री नदी में फेंक देते हैं तो वह भी इन जालों पर ही लटकी नजर आती है। कहीं-कहीं जालियां खराब हो गई हैं। गंभीरी नदी पुलिया के छह द्वारों के बीच पेड़-पौधे हैं। कुछ पौधे तो इतने बड़े हो गए हैं कि उनकी जड़ें पुलिया की दीवारों के अंदर तक पहुंच गई हैं। कई पौधे अब पेड़ बन गए हैं और नीचे पुलिया से ऊपर जाली तक पहुंच गए हैं। जिला प्रशासन को भी इस स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।  जल संसाधन विभाग यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है कि पुलिया पीडब्ल्यूडी, नगर परिषद है। दूसरी ओर राज्य पुरातत्व विभाग ने इस पुलिया की ऐतिहासिकता को संरक्षित स्मारक मानते हुए एक दशक पहले यहां शिलालेख लगवाया था, लेकिन उसके बाद इस विभाग ने भी कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। नगर परिषद अध्यक्ष से इस संबंध में पूछताछ की गई तो वह आने वाले समय में इसकी सफाई कराने की बात कहने लगे। गौरतलब है कि गंभीरी नदी की पहली पुलिया 1303 ईस्वी में मिली थी। नदी पर बनी पुलिया, प्राचीर, मछली के आकार के दरवाजों की निर्माण शैली आज भी इंजीनियरों को हैरान कर देती है।
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