अन्तरराष्ट्रीय ऊंट महोत्सव में हजारों की संख्या में उमड़े लोग

Update: 2023-01-14 13:45 GMT

बीकानेर: सजे-धजे ऊंटों का कारवां, लोक संस्कृति की छठा बिखेरते कलाकार और उत्सवी माहाैल। ऐसा ही कुछ नजारा शुक्रवार को बीकानेर में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय ऊंट महोत्सव के शुभारम्भ पर नजर आया। इस दौरान लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से कई राज्यों की संस्कृति को साकार कर दिया। बीएसएफ के जवान भी ऊंटों के लंबे-चौड़े लवाजमे के साथ नजर आए। राजस्थान सहित देशभर के कई राज्यों की संस्कृति से रू-ब-रू करवाते बीकानेर कार्निवल में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए।

हालांकि महोत्सव में विदेशी पर्यटकों की भागीदारी कम ही नजर आई। लालगढ़ होटल से कार्निवल की शुरूआत हुई। यहां से लक्ष्मी निवास होटल, कीर्ति स्तम्भ होते हुए कार्निवल पब्लिक पार्क पहुंचा। कार्निवल में जम्मू-कश्मीर, उड़ीसा, हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों की लोक संस्कृति की छठा बिखरी नजर आई। कश्मीरी युवक-युवतियां ऊंट गािड़यों पर बैठकर वाद्य यंत्रों के साथ कश्मीरी लोक गीत गाते नजर आए तो उड़ीसा के कलाकारों ने सड़क पर ही लोक नृत्य पेश किया।

झांकियां रही आकर्षण का केन्द्र: कार्निवाल में लोक कलाकारों की प्रस्तुितयां खास रही। इस दौरान बीएसएफ के जवानों का ऊंट दस्ता, विंटेज कारें, ऊंट गाड़ियों पर कच्छी घोड़ी, मयूर नृत्य, बहरूपिया, रावण हत्था से जुड़ी झांकियां नजर आई। बीएसएफ वार केमल एंड फीमेल काम्बेट केमल माउंटेड ट्रूप आकर्षण का केन्द्र रहे। ऊंट गाड़ियों पर भांगड़ा गिद्दा, जम्मू का रउफ, गुजरात का राठवा, घूमर एवं फाग, बंगाल का छउ तथा महाराष्ट्र की सौंगी मुखौटा कला को प्रस्तुत करती झांकियां नजर आई। 

वेशभूषा ने भी लुभाया: कार्निवल में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बीकानेरी वेशभूषा में चल रहे रौबिले थे। भारी भरकम दाड़ी मूंछों के साथ राजस्थानी कपड़ों से इनका अलग ही आकर्षण नजर आया। तरह-तरह के आभूषण और सिर पर राजस्थानी साफे ने इन रौबिलों का रौब दिखाया। हर विदेशी पर्यटक इनके साथ फोटो खिंचवाने को उत्सुक नजर आए। पर्यटन विभाग ऊंट उत्सव का आयोजन विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए करता है लेकिन इस आयोजन में विदेशी ट्यूरिस्ट की संख्या सौ तक भी नहीं पहुंच पाई। 

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