यह मूर्तिकार बनाएगा शहीदों की 1170 मूर्तियां, देश भर में किया जाएगा स्थापित

Update: 2023-08-16 18:55 GMT
राजस्थान: झुंझुनूं के गांव खुडानिया के रहने वाले वीरेंद्र सिंह पिछले कई सालों से प्रतिमाएं बना रहे हैं. वर्तमान समय में वह राजस्थान की लगभग सभी शहीदों की प्रतिमाएं बना चुके है. बहुत सी प्रतिमाएं अभी शहीदों के गांव में लगाई भी जा चुकी हैं.जब गिडानिया गांव से निकलते हैं तो हमें वहां पर फौजियों की एक बटालियन खड़ी नजर आती है, लेकिन पास जाकर जब देखते हैं तो पता चलता है कि राजस्थान शहीदों की प्रतिमाएं हैं.
खुडानिया के मूर्तिकार वीरेंद्र सिंह को शहीद की प्रतिमाएं बनाने में महारथ हासिल है. उनके द्वारा बनाई हुई मूर्तियां राजस्थान के अलावा जम्मू, बिहार और हरियाणा में भी लगी हुई है. लगभग पिछले साढे तीन साल से हुए राजस्थान के शहीदों की प्रतिमाएं बना रहे है. सबसे ज्यादा शहीद देने का गौरव भी झुंझुनू जिले के नाम है और झुंझुनू के खुडानिया गांव के निवासी ने पूरे राजस्थान के शहीदों की प्रतिमाएं बनाकर एक और कीर्तिमान अपने नाम किया है.
राजस्थान में लगेगी 1170 मूर्तियां
मूर्ति बनाने का सिलसिला इस तरीके से शुरू हुआ कि पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन प्रेम सिंह बाजोर ने एक बार झुंझुनू के गांव धनुरी में शहीद सम्मान यात्रा की थी. तो उन्हें पता चला कि इस गांव में सबसे ज्यादा शहीद हैं और अभी तक उनकी प्रतिमाएं नहीं लगी हैं तो उन्होंने यह बीड़ा उठाया कि वह राजस्थान के जितने भी शहीद हैं उनकी प्रतिमाएं निशुल्क लगवाएंगे. यह प्रतिमाएं बनाने की जिम्मेदारी खुडानिया गांव के वीरेंद्र सिंह को दी गई है . पूरे राजस्थान में लगभग 1170 मूर्तियां निशुल्क लगाई जानी है जिनमें अधिकांश मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं.
शाहजहांपुर में लगेगी 104 फीट ऊंची प्रतिमा
साथ में ही वीरेंद्र सिंह के द्वारा बनाई हुई मूर्तियां यूपी, बिहार, गुजरात हरियाणा ,भोपाल ,बिहार ,एमपी इत्यादि जगहों पर लगाई जा चुकी हैं. जिसमें से वीरेंद्र सिंह की ओर से सबसे ऊंची प्रतिमा यूपी के शाहजहांपुर में बना कर लगाई गई जो कि 104 फुट की ऊंची प्रतिमा है. हनुमान जी की यह प्रतिमा शाहजहांपुर में लगाई गई है.
बचपन से ही चित्रकारिता
मूर्ति बनाने की इस अद्भुत कला की वजह से वीरेंद्र सिंह को कई सम्मान मिल चुके है.साथ में ही मूर्तिकार वीरेंद्र सिंह अपनी मूर्तिकला युवाओं को भी निशुल्क सिखा रहे हैं. जो युवा मूर्ति बनाने का शौक रखते हैं. उन्हें चित्रकारी के साथ में ही मूर्ति बनाना भी सिखाया जाता है. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें बचपन से ही चित्रकारिता का शौक था. जब वो तीसरी कक्षा में थे तब मूर्ति के रूप में चित्र बनाया करते थे इसी लगाव की वजह से आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है.
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