Jaipur : कपास फसल में गुलाबी सुण्डी के प्रभावी नियंत्रण व प्रबंधन के सम्बन्ध में बैठक
Jaipur जयपुर । प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी श्री वैभव गालरिया की अध्यक्षता में सोमवार को पंत कृषि भवन में बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी के प्रकोप, प्रभावी नियंत्रण, प्रबंधन के लिए किये जा रहे कार्यो की समीक्षा हेतु वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया।
प्रमुख शासन सचिव ने श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, अनूपगढ, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, चूरू और भीलवाडा जिलों में गुलाबी सुण्डी के संभावित प्रकोप से होने वाले नुकसान के कारणों, विभागीय अधिकारियों द्वारा किये जा रहे प्रयासों एवं विभिन्न पहलूओं पर चर्चा की। साथ ही गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र, उसके प्राथमिक स्तर के प्रकोप व नुकसान पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
श्री गालरिया ने सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे गुलाबी सुण्डी के प्रकोप का नियमित सर्वेक्षण कर उसके बचाव के उपाय तुरन्त कृषकों को बतायें। साथ ही गुलाबी सुण्डी की रोकथाम के लिए पंचायत स्तर पर गोष्ठियों, सभाओं व रात्रि चौपालों का आयोजन करें। जिला व खण्ड स्तरीय कन्ट्रोल रूम पूर्ण सजगता से गुलाबी सुण्डी का पर्यवेक्षण करते रहे।
बैठक के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी प्रकोप होने का मुख्य कारण किसानों के खेतों में रखी गत वर्ष की वनसठियों के दूषित टिण्डों में कीट प्यूपा अवस्था में मौजूद रहना बताया जो कि मई-जून में अनुकूल वातावरण मिलते ही सक्रिय होकर फसल को संक्रमित करता है तथा लगातार जैसे-जैसे फसल में फूल आते रहते है संक्रमण जारी रहता है। अतः खेतों में रखी वनसठियों को वंहा से दूर सुरक्षित स्थान पर भण्डारित करना ही उपाय है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष बिपरजॉय तूफान से हुई जल्दी वर्षा होने से बीटी कपास की बुआई लम्बी अवधि तकं किये जाने के कारण गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र के लिए अनुकूल फसल उपलब्ध रहने से टिंडो में प्रकोप हो गया था व मई-जून से लगातार वर्षा होने से अधिक वनस्पति वृृद्धि व कम तापमान के कारण कीट को अनुकूल वातावरण मिलने से कीट का प्रकोप बढ़ा।
सभी बीज उत्पादक कम्पनियों व आदान प्रतिनिधियों को सामाजिक सरोकार के तहत कीट की मॉनिटरिंग के लिए कृषकों के खेतों पर फेरोमैन ट्रेप लगाने व कीट प्रबंधन हेतु किये जाने वाले प्रचार-प्रसार में भागीदार बने।
इस दौरान वी.सी. में अतिरिक्त निदेशक कृषि (आदान) डॉ0 सुवालाल जाट, अतिरिक्त निदेशक कृषि श्री एच.एस. मीणा, अतिरिक्त निदेशक कृषि खण्ड बीकानेर श्री एस.एस. शेखावत, अतिरिक्त निदेशक कृषि खण्ड श्रीगंगानगर, सीकर, जोधपुर, भीलवाडा, संयुक्त निदेशक कृषि गुण नियंत्रण, पौध संरक्षण व आदान अनुभाग, कृषि विभाग के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक और भारत सरकार के प्रतिनिधि मौजूद रहे।