बाढ एवं जल भराव की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों में कोई कोताही नहीं हो : डॉ. सुबोध अग्रवाल

Update: 2023-06-14 12:50 GMT

जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन एवं आईजीएनपी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि आगामी मानसून को देखते हुए सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों को क्रियाशील किया जाए एवं मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी सभी प्रमुख बांधों का निरीक्षण करें। साथ ही, उन्होंने जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर जल भराव वाले एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर बांधों में अचानक पानी की आवक एवं बाढ़ की स्थिति में राहत एवं बचाव की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

डॉ. अग्रवाल बुधवार को आईजीएनपी बिल्डिंग के कॉन्फ्रेंस हॉल में बाढ कंटींजेंसी की वीसी के माध्यम से समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने आगामी मानसून को देखते हुए बड़े बांधों की सुचारू व्यवस्था संचालन के लिए इन बांधों पर मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए। साथ ही, सभी प्रमुख बांधों के गेट पर ऑयलिंग-ग्रिसिंग के साथ ही उनके खुलने-बंद होने की पूरी प्रक्रिया पहले से ही देखने को कहा ताकि अचानक पानी आने एवं पानी छोड़े जाने की स्थिति में ये सुचारू संचालित हो सकें।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन ने कहा कि राज्य स्तरीय बाढ नियंत्रण कक्ष, संभागीय स्तर एवं जिला स्तर के फ्लड कंट्रोल रूम के साथ ही महत्वपूर्ण बांधों पर स्थापित कंट्रोल रूम 15 जून से प्रभावी रूप से क्रियाशील हो जाएं। उन्होंने अन्य राज्यों से भी समन्वय स्थापित कर बारिश, अंतर्राज्यीय नदियों से बांधों में पानी की आवक के बारे में सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

24 घंटे कार्यरत रहेंगे राज्य, संभाग एवं जिला स्तरीय कंट्रोल रूम

बैठक में बताया गया कि आगामी मानसून को देखते हुए केन्द्रीय बाढ कक्ष जेएलन मार्ग स्थित सिंचाई भवन में स्थापित किया गया है। इसके नोडल अधिकारी मुख्य अभियंता राज्य जल संसाधन आयोजना विभाग रवि सोलंकी होंगे एवं उप निदेशक (जल विज्ञान), जल संसाधन नवल किशोर दायमा प्रभारी अधिकारी होंगे। अधीक्षण अभियंता एवं सहायक अभियंताओं सहित कुल 23 अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी यहां लगाई गई है। ये अधिकारी-कर्मचारी 24 घंटे विभिन्न पारियों में वर्षा एवं बांध भराव के आंकडे प्राप्त कर प्रतिदिन प्रातःकालीन एवं दैनिक वर्षा प्रतिवेदन तथा पाक्षिक रिपोर्ट तैयार कर अधिकारियों को भेजने एवं वेबसाइट पर अपलोड करने का कार्य करेंगे।

इसके साथ ही अत्यधिक वर्षा, बांध एवं तालाबों के क्षतिग्रस्त होने, अचानक गेज बढ़ने जैसी सूचना संभागीय, जिला स्तरीय एवं बांधों पर स्थापित कंट्रोल रूम से प्राप्त कर एसीएस सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि करीब 22 महत्वपूर्ण बांधों पर भी बाढ नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। साथ ही, बांधों के कैचमेंट एरिया में 153 ऑटोमेटिक रैनगेज स्टेशन, 85 बांधों के भराव गेज, 30 नदियों के गेज के बारे में ऑनलाइन सूचना उपलब्ध कराने के सिस्टम एक्टिवेट किया गया है। फिलहाल 157 वायरलैस सेट, 184 पंपसेट एवं 32 नावों का प्रबंध किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि सभी कंट्रोल रूम 15 जून से कार्य करना प्रारंभ कर देंगे।

अधिकारियों ने बताया कि जयपुर में स्थापित केन्द्रीय बाढ कक्ष में जल संसाधन विभाग के 211 वर्षामापक स्थानों, राजस्व विभाग के 454 एवं भारतीय मौसम विभाग के 19 वर्षामापक स्थानों से प्राप्त बारिश की सूचना, 690 बांध-तालाबों के भराव तथा प्रमुख नदियों के गेज के आंकड़ों का संकलन किया जाएगा। प्रतिदिन दोपहर 1 बजे दैनिक वर्षा प्रतिवेदन तैयार कर संबंधित विशिष्टजन एवं अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन ने जिला प्रशासन से लगातार कॉर्डिनेशन रखने के साथ ही बाढ की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए।

समीक्षा बैठक में संयुक्त सचिव जल संसाधन श्रुति भारद्वाज, मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव जल संसाधन भुवन भास्कर, वित्तीय सलाहकार जल संसाधन शिल्पी कौशिक, मुख्य अभियंता जल संसाधन कोटा, जोधपुर एवं हनुमानगढ़, अतिरिक्त मुख्य अभियंता जल संसाधन जयपुर, उदयपुर एवं बांसवाड़ा सहित विभिन्न जोन के मुख्य अभियंता, अतिरिक्त मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता भी वीसी के माध्यम से जुड़े।

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