प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना बेअसर साबित हो रही है। इसके कई वास्तविक पात्र चयन से वंचित रह जाते हैं। वर्षों से बारिश में टपक रहे घरों में रह रहे परिवारों के आवेदन खारिज कर दिए गए। सरकारी आंकड़े खुद इसकी हकीकत बयां करते हैं। सत्र 2021-22 के लक्ष्य के अनुसार 12773 में से 12641 को ही स्वीकृत किया गया, कई लोगों को अब तक एक रुपया नहीं मिला है. पीएम आवास योजना में जिन कच्चे आवास परिवारों को पूर्व में किसी अन्य योजना का लाभ नहीं मिला है, वे आवेदन कर सकते हैं। चयन होने पर लाभार्थी के बैंक खाते में तीन किस्तों में 1 लाख 20 हजार की राशि जमा की जाती है। पहली किस्त में 15 हजार, दूसरी किश्त में 45 हजार और तीसरी किश्त में 60 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। निर्माण को अधिकतम 1 वर्ष में पूरा करना होगा। स्वच्छ भारत मिशन के तहत चयनित लाभार्थियों को लगभग 12,000 शौचालय बनाने का भी मौका मिलता है। इसके अलावा 20 हजार रुपए मानव दिवस के रूप में अलग से दिए जाते हैं।
धरियावाड़ ग्राम पंचायत अधीनस्थ नंदकिशोर भारवा द्वारा आवास योजना के तहत 2014 में आवेदन किया था। कुछ समय बाद नंदकिशोर की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी हेमलता भारवा ने वर्ष 2017 में आवास योजना के तहत पुनः आवेदन किया और समय-समय पर आवेदन करने के बाद योजना के तहत सूची में नाम आया। लेकिन आवास के लिए पैसा नहीं मिला। हेमलता अपने दो बच्चों के साथ बड़ी मुश्किल से जीवन यापन करने को विवश हैं। कई बार कच्चे मकान की वजह से महिला और उसके बच्चों को परेशान होना पड़ता है। कई बार विभागों के चक्कर लगाने के बाद कलेक्टर व अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सुहागपुरा प्रखंड मोतीपुरा छांव के मोटा मयंगा पंचायत निवासी मांजी के पुत्र नरसिंह (37) का कच्चा मकान है. ग्रामीण परिवार ने बताया कि बरसात के दिनों में घर की दीवारें गिर जाती हैं, वे उसकी मरम्मत कर-करके थक जाते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं होती कि एक कमरा बना सकें. गांव में कई लोग अपात्र हैं, उनका प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हो गया है और हम लोग इधर-उधर जाने को मजबूर हैं. वर्ष 2018 में आवेदन किया, अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। पूछने पर कहते हैं कि मिलेगा, लेकिन कब मिलेगा, यह पता नहीं।
पीएम आवास योजना की गाइडलाइन में भी प्रस्तावित मकान का मॉडल दिखाया गया है। सच तो यह है कि ऐसे घर किताबों में दिखने जैसा ही होता है। ऐसा घर सिर्फ एक से डेढ़ लाख में नहीं बन सकता। महंगाई के दौर में बाजार भाव के हिसाब से एक छोटे से घर के लिए भी तीन से चार लाख की जरूरत होती है। 5 साल में 10136 लोगों को आवास की पहली, दूसरी व तीसरी किस्त नहीं मिली। जिला परिषद से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार आवास विभाग द्वारा 68423 आवास के लक्ष्य के विरूद्ध 68259 आवास स्वीकृत किये गये. पिछले वर्ष 21-22 में 12641 आवास स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 5684 लोगों को पहली दूसरी तीसरी किस्त इस वर्ष नहीं मिली। योजना की जांच में सरकारी तंत्र द्वारा देरी किए जाने की बात सामने आई थी। अप्रैल में जो अप्रूवल मिलना था, वह सितंबर में जारी हो गया। पांच साल में जिले में स्वीकृत 68259 में से 10136 लोगों को अभी तक तीनों किस्तें नहीं मिली हैं जिससे उनके घर अधूरे हैं। जिले में पांच वर्ष के भीतर 68259 आवासों में से केवल 60818 आवास ही पूर्ण हो सके हैं। इस वर्ष पहली किश्त 12607, दूसरी व केवल 19642 को तीसरी किस्त जारी की गई है। इसके लिए राज्य और जिला स्तर के अधिकारी जिम्मेदार हैं। प्रतापगढ़ पीएम आवास योजना प्रभारी जितेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि यहां आवास का सभी कार्य सुचारू रूप से चल रहा है. अधूरे अन्य विवादों के कारण कुछ आवास संबंधी दस्तावेज लंबित हैं। अन्य सभी समय में आवास योजना की राशि आवेदकों को मिल रही है।