श्रावण शुक्ल तृतीया के मौके पर धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया तीज का पर्व
श्रावण शुक्ल तृतीया
जयपुर. श्रावण शुक्ल तृतीया के मौके पर रविवार को तीज का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. राजधानी जयपुर में तीज पर्व के अवसर पर जयपुर वासियों में इस बार खास उत्साह देखने को मिला. जयपुर में कोरोना के कारण 2 साल तक तीज माता की सवारी नहीं निकाली गई थी. जिसके बाद रविवार को सिटी पैलेस के जनानी ड्योढी से चांदी की पालकी पर सवार होकर तीज माता की सवारी निकाली गई. तीज माता के दर्शनों के लिए भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ा. इस दौरान तीज माता की सवारी में 150 लोक कलाकारों ने राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी.
सिटी पैलेस के जनाना ड्योढ़ी में पूजा अर्चना के बाद तीज माता की सवारी त्रिपोलिया गेट से होते हुए रवाना हुई. कोरोना के दो साल बाद शाही ठाठ- बाट के साथ तीज माता की सवारी त्रिपोलिया गेट से बाहर निकली. जनसमूह तीज माता के जयकारों में सराबोर नजर आया. लोग तीज माता की सवारी को देखने के लिए उत्साहित दिखे. सुर्ख लाल परिधान में कीमती आभूषणों से सजी तीज माता चांदी की पालकी में विराजमान थीं. लोगों ने तीज माता के दर्शन कर पुष्प बरसाए और सुख सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा.
शाही लवाजमे के साथ चांदी की पालकी पर सवार होकर निकली तीज माता
पुष्प वर्षा के साथ तीज माता का स्वागतः बैंड-बाजा, हाथी-घोड़े, शाही लवाजमे के साथ तीज माता चांदी की पालकी पर सवार होकर त्रिपोलिया गेट से रवाना होकर छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार होते हुए तालकोटरा पहुंची. रास्ते में लोगों ने जगह-जगह फूल बरसा कर तीज माता की सवारी का स्वागत किया. पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित इस तीज फेस्टिवल कार्यक्रम के दौरान 150 से अधिक राजस्थान के अलग-अलग प्रदेश से आए कलाकारों ने राजस्थान की लोक कला संस्कृति की छटा बिखेरी.
ऊंट गाड़ी पर राधा कृष्ण की झांकी रही आकर्षण का केंद्रः इस बार खासतौर से मयूर नृत्य और तेरहताली नृत्य को पहली बार तीज सवारी में शामिल किया गया. वहीं ऊंट गाड़ी पर राधा कृष्ण की झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही. इसके अलावा राजस्थान के प्रसिद्ध मागणियार, कालबेलिया, गैर नृत्य, बहरूपिया, मशक वादन, कठपुतली नृत्य, रावण हत्था वादन, कच्ची घोड़ी नृत्य, अलगोजा नृत्य भी आकर्षण का केंद्र बना. अलग-अलग बैंड ग्रुप और कई लोक कलाकारों ने अलग-अलग ग्रुप में तीज की शाही सवारी में शामिल हुए और अपनी प्रस्तुतियां दी.
लोक कलाकारों ने दी प्रस्तुति
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तीज माता की सवारी देखने के लिए बड़ी तादाद में शहरवासी पहुंचे. इस बार लोगों में भी काफी उत्साह नजर आया. हर कोई तीज माता के दर्शन करने को आतुर नजर आया. पर्यटन विभाग की तरफ से वीआईपी और विदेशी मेहमानों के लिए पर त्रिपोलिया गेट के सामने ऊपर की तरफ बरामदे में बैठने की व्यवस्था की गई. वहीं आमजन के लिए नीचे सड़क की तरफ बेरिकेट्स लगाया गया. इस दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए.
राजस्थान के विभिन्न लोक नृत्य का आयोजन
पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा ने बताया कि पर्यटन विभाग की तरफ से दो दिवसीय तीज फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. आज तीज फेस्टिवल के पहले दिन तीज माता की शाही सवारी निकाली गई है. पर्यटन विभाग की ओर से तीज महोत्सव के तहत झांकियों को शामिल किया है. वहीं तीज माता की सवारी देखने देशी और विदेशी पर्यटकों में काफी उत्साह नजर आया.
राजपरिवार ने की पूजाः जयपुर में ऐतिहासिक तीज की सवारी के मुरीद न सिर्फ देसी धर्मावलंबी है, बल्कि विदेशी सैलानी भी होते हैं. सवारी निकलने से पहले तीज माता की मूर्ति का पारंपरिक पूजन ऐतिहासिक सिटी पैलेस में पूर्व राजपरिवार के सदस्य करते हैं. रविवार को तीज के अवसर पर पूर्व राजपरिवार की सदस्य गौरवी कुमारी ने सिटी पैलेस में तीज माता की पारंपरिक पूजा-अर्चना की.
महिलाओं ने की तीज माता की पूजा
यह रही है ऐतिहासिक परंपराः साल 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के जयपुर शहर की स्थापना के साथ ही तीज का त्योहार सार्वजनिक तौर पर भव्य रूप से मनाया जाता रहा है. तीज माता की भव्य मूर्ति -यानी देवी पार्वती स्थायी रूप से सिटी पैलेस में ही रहती हैं. साल में 2 दिन तीज माता की सवारी के रूप में निकाली जाती हैं. सावन के शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन और अगला दिन यानी सावन का चौथा दिन जब उन्हे 'बूढ़ी' (पुरानी या वरिष्ठ) तीज माता के रूप में सवारी के रूप में निकाला जाता है.
ऊंट गाड़ी पर राधा कृष्ण की झांकी
तीज माता की सवारी निकालने से पहले जयपुर का पूर्व राज परिवार पैलेस के अंदर तीज माता की पूजा से जुड़े सभी अनुष्ठान करता है. जिसे बाद में पैलेस के त्रिपोलिया गेट से निकालते हुए पारंपरिक जुलूस छोटी चौपड़ से गुजरते हुए तालकटोरा ले जाया जाता है. यहां जयपुर पूर्व राज परिवार के पुजारी औपचारिक पूजा-अर्चना करते हैं और प्रसाद सभी में बांटा जाता है. तीज माता को बाद में उसी मार्ग से पैलेस में वापस लाया जाता है. यह दोनों आयोजन शाम को ही होते हैं.
Source: etvbharat.com