कोटा शहर में उधड़ी सड़कों व गड्ढ़ों से गाड़ियां का हाल हुआ बेहाल

Update: 2022-10-01 11:48 GMT

कोटा न्यूज़: एक तरफ तो पेट्रोल वैसे ही महंगा हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ शहर को ट्रैफिक सिग्नल फ्री बनाने के लिए जिस तरह से शहर के ट्रैफिक की हालत कर दी है उससे शहरवासी चक्करघिन्नी तो हो ही रहे हैं। साथ ही लोगों का पेट्रोल और वाहनोें का मेंटीनेंस का खर्चा भी बढ़ गया है। इसके साथ ही शहर में उधड़ी सड़कों व गड्ढ़ों से गाड़ियां आए दिन खराब हो रही हैं। जिससे लोगों पर तिहरी मार पड़ रही है। शहर में वर्तमान ट्रैफिक की हालत यह है कि घर से निकलने से पहले लोगों को सोचना पड़ रहा है कि वे अपने गंतव्य स्थान तक किधर से जाएं जिससे कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े। घर से वाहन लेकर निकलते ही लोगों को परेशानी का सामना करना तो स्वाभाविक है। सीधी सड़क पर न जाने कब और कहां से रास्ता बंद हो जाए। जिससे इधर-उधर गलियों से घूमकर निकलना पड़े। शहर में जिसे नगर विकास न्यास द्वारा ट्रैफिक लाइट सिग्नल फ्री बनाने का दावा किया जा रहा है। उस प्रयास को सफल बनाने के लिए शहर के लाखों लोगों को जबरन परेशानी में डाला जा रहा है। सुबह से लेकर रात तक शहर की कोई सड़क, कोई चौराहा और अब तो कोई गली मौहल्ला ऐसा नहीं हैं जहां ट्रैफिक जाम का सामना लोगों को नहीं करना पड़ रहा हो। जरा सी दूर जाने के लिए लम्बा चक्कर काटकर आने और जबरन गलियों व रोंग साइड से घूमकर आने को मजबूर किया जा रहा है। जिससे लोगों को समय अधिक लगने के साथ ही पेट्रोल का खर्चा भी अधिक वहन करना पड़ रहा है। करीब 108 रुपए लीटर पेट्रोल के दाम होने पर जहां लोग कम से कम वाहन चलाकर खर्च को बचाने का जतन कर रहे हैं। वहीं शहर के ट्रैफिक हालत ने लोगों पर पेट्रोल के खर्च का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है।

पेट्रोल पम्प व मिस्त्री की दुकानों पर दिनभर फुर्सत नहीं: शहर के ट्रैफिक के कारण पेट्रोल का खर्चा तो अधिक हो ही रहा है। साथ ही वाहनों में टूटफूट भी अधिक हो रही है। जिससे आए दिन वाहन पेट्रोल पम्प और मिस्त्रियों की दुकानों पर खड़े देखे जा सकते हैं। हालत यह है कि जहां पेट्रोल पम्पों पर वाहन चालक आसानी से पेट्रोल भरवा लेते थे और मिस्त्रियों के यहां आसानी से वाहन की सर्विस करवा लेते थे। वर्तमान में शहर के किसी भी पेट्रोल पम्प पर जाकर देखा जाए तो वहां 24 घंटे भीड़ नजर आएगी। पेट्रोल भरवाने के लिए पम्प पर कतार में लगकर बारेी का इंतजार करना पड़ रहा है। मिस्त्री की दुकान पर जाने पर तुरंत तो काम हो ही नहीं रहा। पहले से काफी अधिक समय लग रहा है। ऐसे में लोगों की परेशानी के साथ ही पेट्रोल का खर्चा व वाहन मरम्मत का खर्चा अधिक वहन करने से तिहरी मार झेलनी पड़ रही है।

दशहरे से दीपावली तक होंगे हालात खराब: अभी सामान्य दिनों में ही ट्रैफिक की हालत इतनी अधिक खराब है कि जरा सी दूरी पार करने के लिए समय अधिक लग रहा है। पेट्रोल अधिक खर्च हो रहा है। वहीं अगले सप्ताह से दशहरा और दीपावली जैसे त्यौहारों की रौनक शुरू हो जाएगी। बाजारों में खरीदारी और दशहरा मेले में लोगों की भीड़ के चलते सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा। ऐसे में उस समय तो ट्रैफिक की स्थिति इससे भी अधिक खतरनाक हो जाएगी। अभी हालत यह है कि दिनभर ट्रैफिक रैंग-रैंग कर निकल रहा है। त्यौहारी सीजन में तो भगवान ही मालिक होगा। 

विकास के काम से अधिक जाम: शहर में विकास के काम हर सड़क पर चलाए जा रहे हैं। कहीं डिवाइडर का काम तो कहीं अंडरपास का। कहीं फ्लाई ओवर का काम तो कहीं सड़क का काम। ऐसे में सड़कों पर पड़ी निर्माण सामग्री, मवेशियों के झुंड और उधड़ी सड़कों के गड्ढ़ो से जगह-जगह पर ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है।

चौराहों को बड़ा करने और यू टर्न से बढ़ी परेशानी: नगर विकास न्यास द्वारा शहर के ट्रैफिक को सुगम व सुचारू बनाने के लिए हजारों करोड़ रुपए के काम करवाए जा रहे हैं। बड़े-बड़े चौराहे बना दिए। शहर में लोगों को यू टर्न पर घूमने को मजबूर कर दिया। जिससे लोगों की समस्या कम होने की जगह बढ़ी है। शहर का शायद ही कोई व्यक्ति होगा तो वर्तमान ट्रैफिक व्यवस्था से संतुष्ट होगा।

बढ़ा पेट्रोल व वाहन मरम्मत का खर्चा: शहर में ट्रैफिक की हालत सुधरने की जगह लगातार बदतर होती जा रही है। समझ ही नहीं आ रहा कि जाना किधर से है। सुबह जिस रास्ते से निकले दोपहर बाद वहां का रास्ता या तो बंद मिलेगा या फिर सड़क खुदी हुई। इससे पेट्रोल का खर्चा तो बढ़ा ही सड़कों की बदहालीे के चलते वाहन मरम्मत का खर्चा भी बढ़ गया है।

- राजेश शर्मा, कुन्हाड़ी

100 की जगह 200 रुपए का पेट्रोल डलवा रहे

शहर के ट्रैफिक के कारण चक्कर घिन्नी तो हो रहे हैं। साथ ही यू टर्न घूमने से लम्बा चक्कर काटना पड़ रहा है। जिससे पहले जहां दो से तीन दिन में 100 रुपए का पेट्रोल बाइक में डलवा रहे थे। वहीं अब उतनी ही गाड़ी चलाने के लिए 200 का पेट्रोल डलवाना पड़ रहा है।

-सुमित बहल, दादाबाड़ी

आए दिन मिस्त्री की दुकान पर गाड़ी

शहर के ट्रैफिक से तो भगवान बचाए। घर से निकलने से पहले दस बार सोचना पड़ रहा है। कार होने के बाद भी बाइक से ही जाना पसंद कर रहे हैं। यदि परिवार के साथ सुविधा के लिए कार लेकर निकल गए तो सुविधा से अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिससे झुंझलाहट होने लगतेी है।। एक बार में 500 से 1000 रुपए का खर्चा हो रहा है।

- दुष्यंत नामा, महावीर नगर

शहर में जगह-जगह पर विकास व डिवाइडर के काम चल रहे हैं। दिन के समय ही काम होने से उस समय में ट्रैफिक अधिक रहने से कुछ परेशानी तो होगी। फिर भी प्रयास किया जाता है कि लोगों को सुगम ट्रैफिक व्यवस्था दी जाए। शहर में ट्रैफिक के जवान दिनभर सड़कों व चौराहों पर ही ड्यूटी कर रहे हैं। दशहरा व दीपावली पर लोगों को परेशानी व जाम की समस्या का सामना नहीं करना पड़े उसका रोड मैप तैयार किया जा रहा है।

- कलावती चौधरी, यातायात निरीक्षक

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