मुआवजे को लेकर SC आयोग के अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार को घेरा, कहा- दलितों को भी 50 लाख मिलना चाहिए मुआवजा
राजस्थान राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा ने सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा ने सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह पूछा है कि उदयपुर में मरने वाले (टेलर कन्हैयालाल तेली) को पचास लाख दिए तो पाली और जालोर में मरने वाले (टीचर की मारपीट से मरने वाला बच्चा इंद्र मेघवाल) को पांच लाख ही क्यों? यह बात गलत है। सरकार लोगों की भावनाओं को क्यों नहीं सुन रही है।
सरकार पर भेदभाव का आरोप
बैरवा ने उदयपुर प्रवास के दौरान पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बात कही। बैरवा ने जालोर की घटना के संदर्भ में कहा कि घटना सबके सामने है। सरकार एक को पचास लाख दे रही है तो दूसरे को पांच लाख क्यों? सरकार उसे भी पचास लाख दे। जो अत्याचारी है, उसकी जमीन को नीलाम करे, संपत्ति को कुर्क कर उसी से वसूल करे। संपत्ति कुर्क करने का मॉडल बने।
दलितों को भी 50 लाख मिलना चाहिए मुआवजा
किसी भी दलित की हत्या किसी भी तरह से होगी, उसे पचास लाख का मुआवजा मिले।आरोपियों की संपत्ति से मुआवजे की वसूली की जानी चाहिए। इस तरह अत्याचार व अपराध कम होंगे।
सरकार पीछे हटेगी तो आवाज उठाएंगे- बैरवा
बैरवा ने कहा कि जालोर मामले की जांच करा ली गई है, आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी होने वाला है, लेकिन जहां सरकार पीछे हटेगी या कुछ कमी रहेगी तो हम बोलेंगे और आवाज उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि सब जगह जालोर की घटना को लेकर लोग ज्ञापन दे रहे हैं। टंकियों पर चढ़ रहे हैं। ट्विटर पर देख लीजिए लोग आवाज उठा रहे हैं। हर आदमी कह रहा है कि अन्याय, अन्याय होता है। हमें लोगों की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए।
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि गत 28 जून को कन्हैयालाल तेली की कट्टरपंथी युवकों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद सरकार ने कन्हैयालाल के परिवार को 51 लाख रुपए और दोनों बेटों को सरकारी नौकरी दी है। जालोर में कथित तौर पर मटके से पानी पीने पर टीचर छैलसिंह द्वारा मारपीट करने पर दलित छात्र की मौत हो गई थी। सरकार ने छात्र के परिवार को 5 लाख रुपए दिए हैं।