राजस्थान के अगले टाइगर रिजर्व की रेस में सबसे बड़ा नाम, कुंभलगढ़ में हुआ सफारी का शानदार आगाज
जयपुर: जैव विविधता और पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान में अपना अनूठा नाम रखने वाले कुंभलगढ़ (Kumbhalgarh) में आज से दोबारा सफारी शुरू हुई. जिसका पर्यटकों ने भी भरपूर आनंद लिया. लखेला तालाब प्वाइंट से आरेट गेट तक लगभग 20 किलोमीटर से ज्यादा का सफारी ट्रेक कुंभलगढ़ में बना हुआ है. यहां पैंथर, स्लॉथ बीयर, हाइना, वुल्फ, सांभर, जंगली सुअर, सियार, जंगल कैट, रस्टी स्पोटेड कैट सहित कई वन्यजीव है.
माउंट आबू के बाद उदयपुर और कुंभलगढ़ में ही ग्रीन मुनिया के दर्शन किए जा सकते हैं. यहां आउल्स एवं रेप्टर्स की भी कई प्रजातियां हैं. पेड़ पौधों की भी भरपूर जैव विविधता है. कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व (Kumbhalgarh Tiger Reserve) बनाने का प्रस्ताव सरकार के पास पहुंच चुका है. इसको टाइगर रिजर्व बनाए जाने में जो कमियां बताई गई थी उन पर भी लगभग काम पूरा हो गया है. वन्यजीव मामलों के जानकार अनिल रोजर्स ने बताया कि प्रे बेस के लिए हरबीवोर इनरीचमेंट इनक्लोजर बनाया जा चुका है.
वहीं यहां ग्रासलैंड और वीड एरेडीकेशन मैनेजमेंट पर भी काफी काम हुआ है. वन्यजीव अपराध नियंत्रण पर यहां कई कार्यशालाएं भी आयोजित की जा चुकी है और पिछले कुछ सालों में यहां वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं नहीं के बराबर हुई हैं. हाल ही में WII की टीम ने यहां प्रे बेस एस्टिमेशन के लिए लाइन ट्रांजिट और कैमरा ट्रैपिंग मेथड से कार्य किया है. जिसकी रिपोर्ट चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को पहुंचाई जा चुकी है.
बाघों को नए स्थानों पर बसाने के प्रयास जारी:
फिलहाल राजस्थान में 4 टाइगर रिजर्व है लेकिन रणथंभौर में बढ़ते बाघों के कुनबे को देखते हुए बाघों को नए स्थानों पर बसाने के प्रयास किए जा रहे हैं. रोजर्स ने बताया कि 80 के दशक तक कुंभलगढ़ में बाघों की उपस्थिति थी और इसके लिखित में पुख्ता प्रमाण भी मौजूद है. उन्होंने बताया कि यदि कुंभलगढ़ में बाघ बसाए जाते हैं तो बाघों की खोई हुई सल्तनत वापस लौटेगी. साथ ही साथ मेवाड़, मारवाड़, वागड़ में पर्यटन बढ़ने के साथ रोजगार के साधन भी विकसित होंगे.
न्यूज़ क्रेडिट: firstindianews