कोटा: स्मार्ट सिटी कोटा में नए साल के जश्न की आतिशबाजी ने शहर की आबोहवा में जहर घोल दिया। शहर का वायु प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। यहां पर बुधवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 223 दर्ज किया गया। इस आंकड़े के साथ हमारा कोटा राजस्थान में वायु प्रदूषण के हिसाब से पहले पायदान पर पहुंच गया है। यानि पूरे प्रदेश में कोटा शहर की वायु सबसे ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है।
इस तरह से आया उछाल: सर्दी का असर बढ़ने और तापमान में लगातार गिरावट होने के बावजूद राजस्थान के कई शहर अभी भी वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। इनमें कोटा भी शामिल है। दिसंबर 2022 में कोटा शहर का वायु प्रदूषण 150 एक्यूआई पर बना हुआ था। 31 दिसंबर को शहर में आतिशबाजी का दौर चला था। इससे वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ता चला गया। 31 दिसंबर को प्रदूषण का स्तर 155 एक्यूआई दर्ज किया गया था। 1 जनवरी को वायु प्रदूषण में भारी उछाल आया और एक्यूआई 205 पर पहुंच गया। इसके बाद तापमान में गिरावट होने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ता रहा। शहर में बुधवार को वायु प्रदूषण 223 एक्यूआई पर आ गया। जो प्रदेश के अन्य शहरों के मुकाबले में सबसे ज्यादा रहा।
अब दिल और फेफड़ों को संभालना जरूरी:
चिकित्सकों के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़े से संबंधित कई बीमारियां हो जाती है। यहां तक की बच्चों में भी लगातार सर्दी और खांसी की समस्या बनी रहती है। लगातार वायु प्रदूषण में रहने के कारण फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। इससे श्वास सम्बंधी परेशानी होने लगती है। सबसे ज्यादा असर अस्थमा रोगियों को होता है। जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है। चिकित्सकों का कहना है कि वायु प्रदूषण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के महीन कण पीएम 2.5 खून में प्रवेश कर जाते हैं। इससे धमनियों में सूजन आने लगती है और फिर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। इस समय सर्दी असर तेज होता जा रहा है। वहीं वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। इस कारण अब दिल के दौरे का खतरा ज्यादा हो जाता है। ऐसे में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
देश में जबलपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित: देश में वायु प्रदूषण कई राज्यों में अपना कहर ढा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश में जबलपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बना हुआ है। यहां का एक्यूआई 368 पर पहुंच चुका है। इसके बाद ग्रेटर नोएडा में 364 एक्यूआई के साथ वायु प्रदूषण असर दिखा रहा है। वहीं दिल्ली सहित पूरे एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इसके चलते वहां पर कई पाबंदियां लगा दी गई है। दिल्ली का वायु प्रदूषण 343 एक्यूआई पर पहुंच चुका है।
कोटा सिरमौर, अजमेर सबसे नीचे:
राजस्थान की बात करें तो कोटा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। यहां का एक्यूआई 223 पर पहुंच चुका है। इस हवा में सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है। इसके बाद 218 एक्यूआई के साथ भिवाड़ी दूसरे स्थान पर है। तीसरे स्थान पर 149 एक्यूआई के साथ जयपुर, चौथे स्थान पर 148 एक्यूआई के साथ अलवर, पांचवें स्थान पर 115 एक्यूआई के साथ जोधपुर, छठे स्थान पर 104 एक्यूआई के साथ पाली और सातवें स्थान पर 101 एक्यूआई के साथ अजमेर शहर बना हुआ है।
यह होता है एक्यूआई: एक्यूआई में पार्टिकुलेट मेटर यानि धूल के कणों का मापन होता है। धूल कण 10 माइक्रोन और 2.5 माइक्रोन तक मापे जाते हैं। इसके अलावा हवा में नाइट्रोजन डाई आॅक्साइड, सल्फर डाई आॅक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड व ओजोन मापी जाती है। इसकी इकाई माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है। एक्यूआई के माध्यम से ही यह पता चलता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर कहां तक पहुंच चुका है और इसके प्रमुख कारण क्या हैं।
कोहरा भी बढ़ा रहा प्रदूषण:
शहर में पिछले दो दिन से कोहरा छा रहा है। इस कारण वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार कोहरे के कारण मिट्टी के कण और प्रदूषण को बढ़ाने वाली गैसें ऊपरी मौसम में घुल नहीं पा रहे हैं। क्योकि पारे में गिरावट के कारण वातावरण में ठहराव आ जाता है। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जाता है। वहीं शहर में इस समय चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं। रोजाना सैंकड़ों वाहनों से निर्माण सामग्री का परिवहन किया जा रहा है। वहीं विभिन्न स्थानों पर निर्माण सामग्री के ढेर पड़े हुए, जो हवा के स्तर को प्रदूषित कर रहे हैं। इससे अब हवा में सांस लेना भी घातक साबित हो रहा है।
प्रदेश के प्रमुख शहरों का एक्यूआई स्तर:
अलवर-148
पाली-104
जोधपुर-115
भिवाड़ी -218
कोटा- 223
जयपुर-149
अजमेर-101
एक्यूआई यह देता है संकेत:
अच्छा यानि कोई दिक्कत नहीं -0-50
संतोषजनक - 51-100
बाहर जाने से बचें -101-200
श्वसन के मरीजों को तकलीफ -201-300
लम्बे बीमार रोगियों को दिक्कत -301-400
बाहर बिलकुल नहीं निकलें -401-500
सर्दी के मौसम में यदि वायु प्रदूषण अधिक हो तो फेफड़ोें के लिए काफी हानिकारक होता है। अस्थमा और ह्रदय रोगियों के मरीजों और बुजुर्गो को बहुत ही अधिक सावचेत रहने की जरूरत है। सर्दी व पॉल्यूशन का अटैक लोगों को बीमार कर सकता है। ऐसे में बच्चों के साथ बुजर्गो का ध्यान रखा जाए।
-डॉ. रफीक, वरिष्ठ फिजिशियन
वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए घातक है। वातावरण में हानिकारक सोलिड तत्व होते हैं जो हवा के साथ शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं हवा में फैले सुक्ष्म कण फेफड़ों की झिल्ली पर घाव कर देते हैं। सांस की नली सिकुड़ने लगती है। जिससे अस्थमा अटैक के मामले बढ़ जाते हैं। बच्चे भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनना चाहिए।
-डॉ. विनोद पंकज, वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ
वर्तमान में हवा की गति मंद हो गई। इस कारण हवा में प्रदूषक संवाहक ज्यादा फैल रहे है। मिट्टी के कण और प्रदूषण को बढ़ाने वाली गैसें ऊपरी मौसम में घुल नहीं पा रहे हैं। क्योकि पारे में गिरावट के कारण वातावरण में ठहराव आ जाता है। वायु प्रदूषण बढ़ता जाता है। इस समय का मौसम वायु प्रदूषण के लिए अनुकूल बना हुआ है।
-एसडी मीना, मौसम वैज्ञानिक