जोधपुर न्यूज: 50 साल पहले कैंपस में दोस्तों के साथ मस्ती, होटल में चाय की चुस्कियां, देर रात तक गपशप और ढेर सारी बातें। लेकिन आज वह हाथ में डंडा लेकर उन्हीं धुंधली दृष्टि वाले दोस्तों को ढूंढ रहा था। एमबीएम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के आमंत्रण पर जब वे 1972 बैच के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम और 1962 बैच के हीरक जयंती कार्यक्रम में अपने पोते-पोतियों और परिवार के साथ पहुंचे तो माहौल भावुक हो गया था. मुख्य अतिथि 91 वर्षीय विषय विशेषज्ञ डॉ. एस. दिवाकरन की अध्यक्षता एमबीएम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजय शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि एमबीएम पूर्व शिक्षक प्रो. केएस गुप्ता।
1972 बैच के संयोजक ई.एमएम अग्रवाल ने बताया कि प्रो. सुनील शर्मा ने एमबीएम विश्वविद्यालय को अपनी मातृशक्ति बताते हुए एमबीएम कॉलेज से छात्र जीवन से लेकर एमबीएम विश्वविद्यालय के डीन बनने तक के अपने सफर के बारे में बताया. पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष एवं 1962 बैच के संयोजक डॉ. एसएस टाक ने एमबीएम के विकास कार्य में पूर्व छात्रों की भूमिका के बारे में बताया.
डॉ. दिवाकरन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज की पूरी दुनिया में एक अलग पहचान है और अब विश्वविद्यालय बनने के बाद शिक्षा और अधोसंरचना में और अधिक गुणवत्ता आएगी. डॉ. दिवाकरन ने एमबीएम की स्थापना में मंगनीराम बांगड़ और महाराजा हनुवंत सिंह की अहम भूमिका के बारे में भी बताया। कार्यक्रम के 1972 बैच के छात्र-छात्राओं ने अपनी यादें साझा कीं।