गहलोत-वसुंधरा को सियासी तौर पर खत्म करने की रणनीति

Update: 2023-06-08 10:19 GMT

जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा में अब तक कुछ भी स्पष्ट रणनीति दिखाई नहीं दे रही है। इससे लगता है के बीजेपी नए गेम प्लान पर काम कर रही है। इस रणनीति के केंद्र में सचिन पायलट हैं और निशाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं। दरअसल अक्सर चुनावों से छह माह पहले भाजपा एग्रेसिव मोड में रहती है, लेकिन इस बार बीजेपी डिफेंसिव खेलती हुई दिखाई दे रही है। परदे के पीछे से उन्होंने सचिन पायलट को ही फ्रंटफुट पर रखा हुआ है। मौजूदा बीजेपी के नेता गहलोत के सामने अपना प्रभाव नहीं जमा पा रहे हैं।

बात सचिन पायलट की करते हैं, जो राजस्थान की सियासत में अभी केंद्र बिंदु है। इसका कारण यह है कि वे अशोक गहलोत के सामने बतौर प्रतिद्वंद्वी खड़े हैं। एक कदम पीछे हटने की बजाय वे अपनी रणनीति के तहत आगे बढ़ते जा रहे हैं। शोर इस बात का है कि पायलट 11 जून को अपने पिता राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। इसके लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है। जहां तक कांग्रेस आलाकमान की बात है, इस मुद्दे पर वे पिछले चार साल में कुछ निर्णय नहीं कर सके तो अब भी उनसे कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। बैठकों और बातचीत में कई बार सुलह हो चुकी है, लेकिन सियासी मैदान में दोनों ही गुटों के हाथों में कमान से तीर छोड़े जा रहे हैं।

भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले नया प्रदेशाध्यक्ष बनाया है जिनको पार्टी के ही नेता कितनी मदद कर पाएंगे, यह वक्त बताएगा। अभी तक तो भाजपा और उनके नेता किसी भी मुद्दे पर कांग्रेस और गहलोत पर भारी पड़ती हुई दिखाई नहीं दे रही है।

अब बात करते हैं भाजपा के नए गेम प्लान की। संभवत: बीजेपी सचिन पायलट को नई पार्टी बनाने के लिए प्रेरित कर सकती है। पायलट कुछ सीटें ले आते हैं तो बीजेपी उनको और आगे मदद कर सकती है। यहां बीजेपी पायलट को मुख्यमंत्री भी बना सकती है और बीजेपी के नेता को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया जा सकता है। राजस्थान में महाराष्ट्र का पैटर्न दोहराया जा सकता है। बीजेपी ने इस रणनीति पर काम किया तो वे गहलोत और वसुंधरा दोनों को ही सत्ता की सियासत से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। हालांकि अभी बीजेपी के नेताओं ने पत्ते खोले नहीं हैं।

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