संग्रहण व्यवस्था चरमराई, शहर में गंदगी का ढेर...अब गैराज मजबूत करने पर जोर
जयपुर. ग्रेटर नगर निगम से (Jaipur greater Municipal corporation) बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब सफाई व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो चुकी है. निगम प्रशासन ने डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम अपने हाथ में तो ले लिया है, मगर संसाधनों की कमी के चलते घरों से कचरा नहीं उठ पा रहा है. नतीजन सड़कों पर कचरे के ढेर लग रहे हैं. ग्रेटर निगम के 150 वार्डों को यदि दो हूपर भी दिए जाएं तो भी 300 की आवश्यकता है, जबकि अभी निगम के बाड़े में 117 हूपर ही मौजूद हैं. वहीं करीब 100 हूपर किराए पर ले रखे हैं. हालांकि निगम कमिश्नर कहना है कि अब उनका पूरा फोकस गैराज शाखा को मजबूत करने पर है.जयपुर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण सिस्टम शुरू होने के बाद से नगर निगम प्रशासन ने शहर में ओपन कचरा डिपो और कंटेनर डिपो को लगभग खत्म कर दिए थे, लेकिन अब मुख्य रोड, सब्जी मंडियों और मेन बाजारों के अलावा गली-मोहल्ले में भी कचरा डिपो देखे जा सकते हैं. कारण साफ है कि निगम ने अधूरी तैयारियों के साथ बीवीजी कंपनी को ठेका देना बंद कर दिया. इसकी वजह से सभी सातों जोन के विभिन्न वार्डों की व्यवस्था चरमरा गई. हालांकि निगम प्रशासन अपने संसाधनों के साथ-साथ किराए पर हूपर लेकर शहर की स्वच्छता को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन ये व्यवस्था फिलहाल नाकाफी साबित हो रही है.
हूपर 117
ऑटो जेट 10
कंबाइंड जेटिंग 8
बुलडोजर 4
डंप ट्रक 2
डंपर 15
एक्सकैवेटर लोडर 3
फ्रंट एंड लोडर 4
हुक लोडर 3
जेटिंग 12
मिनी ट्रक 6
रिफ्यूज कंपैक्टर 13
सक्शन 9
सुपर सकर 1
ट्रैक्टर ट्रॉली 4
इस संबंध में निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने कहा कि पहले बीवीजी कंपनी काम करती थी तो ज्यादातर संसाधन आउट सोर्स किए गए थे और गैराज का रखरखाव पिछड़ गया था, लेकिन अब निगम अपने संसाधनों से काम कर रहा है. ऐसे में गैरेज को मजबूत करना जरूरी है. फिलहाल दो बुलडोजर खरीदे गए हैं, जल्द छह नए डंपर भी खरीदे जाएंगे. इसके साथ ही सीवर सफाई के लिए रोबोटिक बैंडीकूट मशीन खरीद का ऑर्डर दिया जा रहा है जो 2 से 3 सप्ताह में निगम के बाड़े से जुड़ जाएगी.संसाधनों के साथ-साथ ग्रेटर नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की भी कमी है. बताया जा रहा है कि यहां करीब 55 फीसदी पद खाली पड़े हैं. यहां सफाई कर्मचारी के कुल 7145 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से अभी 3920 पद खाली पड़े हैं. हालांकि इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजे जाने की बात की जा रही है.