अपराधियों के हाथ में स्लेट-चॉक, ज्ञान को बना रहे हथियार

Update: 2023-10-05 17:28 GMT
कोटा। कोटा अपराधियों के हाथों में अब हथियार नहीं स्लेट और चॉक है। मकसद अब जुर्म करना नहीं, शिक्षा पाकर सम्मानजनक जिंदगी जीना और आजीविका के साधन तलाशने का है। कोटा की सेंट्रल जेल अपराधियों में शिक्षा की अलख जगा रही है। द्मइद्य से इमली से लेकर कम्प्यूटर का ज्ञान तक कैदियों को दिया जा रहा है। खास बात यह है कि कैदियों को पढ़ाने वाला द्मशिक्षकद्य भी कैदी ही हैं। जेल अधीक्षक परमजीत सिद्धू के अनुसार, निरक्षर कैदियों को पढ़ाने का जिम्मा लम्बे समय तक सजायाफ्ता अच्छे आचरण वाले शिक्षित बंदी को दे रखा है। जेल में विचाराधीन व सजायाफ्ता निरक्षर कैदियों को हिन्दी की वर्णमाला से लेकर साक्षर करने का बीड़ा जेल प्रशासन उठा रहा है। साक्षर होने पर कैदी अपना नाम-पता लिखने में सक्षम हो जाते हैं। किताब व अखबार आदि पढ़ लेते हैं। तीन घंटे की क्लास, अनुशासन पूरा : जेल में दोपहर में प्रतिदिन तीन घंटे की क्लास लगती है। क्लास में चित्र सहित अंग्रेजी वर्णमाला, न्यूमेरिकल चार्ट, हिन्दी वर्णमाला के पोस्टर सुसज्जित हैं। कैदियों के हाथों में किताब या कॉपी नहीं, स्लेट और चॉक होती है। कक्षा में अनुशासन और बैठने की व्यवस्था का ध्यान रखा जाता है। अभी विभिन्न आयु के 36 बंदी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पढ़े लिखे कैदी सीख रहे कम्प्यूटर : जेल में शिक्षित बंदियों को कम्प्यूटर का ज्ञान भी दिया जा रहा है। टाइपिंग से लेकर कम्प्यूटर की बेसिक नॉलेज दी जा रही है। 18 बंदी कम्प्यूटर सीख रहे हैं। जेल अधीक्षक सिद्धू के अनुसार, अपराध जगत से आने वाले बंदियों में व्यवहार कुशलता की कमी नजर आती है। ऐसे बंदियों को यदि शिक्षा या किसी लघु उद्योग या प्रशिक्षण में लगा दिया जाता है तो उसमें आत्मविश्वास जागता है। उनके व्यवहार में कुशलता आती है। जेल से निकल कर ये बंदी समाज की मुख्यधारा से जुड़ने लगता है।
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